कामाख्या रेलवे स्टेशन पर पहली बार प्रायोगिक ड्रोन-आधारित सफाई

गुवाहाटी, 22 अप्रैल (हि.स.)। ट्रेन के डिब्बों और रेलवे स्टेशनों की सफाई में सुधार की दिशा में एक अग्रणी कदम उठाते हुए, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) ने कामाख्या रेलवे स्टेशन पर अपना पहला प्रायोगिक ड्रोन-आधारित सफाई अभियान सफलतापूर्वक चलाया। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य स्टेशन परिसर की ऊंचाई व कठिन पहुंच वाले संरचनाओं के साथ-साथ छतों एवं ट्रेन कोचों के बाहरी हिस्सों की सफाई करना है। इस तकनीक ने साफ-सफाई व स्वच्छता को बेहतर करने में ड्रोन तकनीक की संभावनाओं को उजागर किया।

प्रायोगिक तौर पर जिन क्षेत्रों को कवर किया गया, उनमें कामाख्या कोचिंग डिपो सिक लाइन, अंडरफ्लोर व्हील लेथ शेड, कामाख्या स्टेशन का बाहरी डोम क्षेत्र और कई ट्रेन कोच शामिल थे। इन अभियानों ने सटीकता और आसानी के साथ ऊंचे संरचनाओं तक कुशलतापूर्वक पहुंचने और अनुरक्षण के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी की क्षमता को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया।

यह पहल नवीन, प्रौद्योगिकी संचालित समाधानों को अपनाने के लिए एनएफआर की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य रेल परिसरों में उन्नत सफाई कार्यों की दक्षता, सटीकता और स्वच्छता को बेहतर बनाना है। ड्रोन आधारित सफाई न केवल पहुंच और सटीकता को बेहतर बनाती है, बल्कि खतरनाक या ऊंचाई वाले स्थानों पर मानवीय श्रम पर निर्भरता को भी कम करती है।

इस पायलट प्रदर्शन की सफलता ने भविष्य में एनएफआर नेटवर्क के अन्य प्रमुख स्टेशनों और ट्रेनों में ड्रोन आधारित सफाई के व्यापक कार्यान्वयन के द्वार खोल दिए हैं। यह भारतीय रेलवे के अत्याधुनिक तकनीक, स्मार्ट रखरखाव पद्धतियों को अपनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे टिकाऊ, तकनीक-संचालित नवाचारों के साथ एक स्वच्छ, सुरक्षित और अधिक कुशल रेलवे वातावरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिससे यात्रियों और रेल कर्मियों दोनों को लाभ होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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