जयपुर, 3 जनवरी (हि.स.)। ई रिक्शा संचालन को लेकर बेहतर नीति नहीं बनने से चारदीवारी का हाल बेहाल है। दिनभर चारदीवारी में ई रिक्शाओं के चलते जाम के हालात रहते है। ई रिक्शा संचालक को लेकर परिवहन विभाग, पुलिस सहित निगम ने कई नियम बनाए, लेकिन सारे नियम पूरी तरह से कागजों से बाहर निकलकर लागू नहीं हो पाए। नए साल के जश्न सहित पर्यटन सीजन के चलते रोजाना बड़ी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक गुलाबी नगरी में आ रहे है। चारदीवारी का यातायात दिनभर रेंग-रेंग कर चल रहा है। एक किलाेमीटर की दूरी को पार करने में आधा से एक घंटा लग रहा है। ऐसे में गुलाबी नगरी घूमने आने वाले पर्यटन गुलाबी नगर की क्या छवि लेकर अपने देश जाएंगे। बिगड़ती जयपुर की छवि को सुधारने के लिए सभी विभागों को एकजुट होकर काम करने की जरुरत है। जयपुर में रोजाना हजारों पर्यटन पहुंच रहे है। ई रिक्शा आमजन को सस्ता परिवहन के साथ जयपुर में पॉल्यूशन को कम करने की दिशा में लाभदायक है, लेकिन इनके संचालक की उचित व्यवस्था राहत की जगह परेशानी का सबब बन गई है।
राजधानी जयपुर में ट्रैफिक का हाल बहुत बुरा है। कुछ साल पहले तक जयपुर शहर का यातायात बहुत सुगम माना जाता था, लेकिन अब यातायात जाम की श्रेणी में जयपुर मुंबई, दिल्ली और बैंगलुरु जैसे शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है। सुबह का समय हो या शाम का रोज जयपुर में घंटों लंबा जाम लग रहता है। कार्यालय बंद होने के समय तो जयपुर शहर के हर इलाके में ट्रेफिक जाम हो जाता है। आंकड़ों की बात करें तो राजधानी जयपुर में परिवहन विभाग में करीब 31 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। इनमें 28,000 सवारियों को लाने और ले जाने के लिए और करीब 3000 लोडिंग ई-रिक्शा शामिल हैं। गुलाबी नगरी में परकोटे के साथ ही करीब दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां दिन में कई बार जाम के हालात बन जाते हैं। इनमें ज्यादातर जाम ई-रिक्शा के कारण लगते हैं. इसका एक कारण यह है कि ई-रिक्शा चालक बीच सड़क पर भी वाहन रोककर सवारी बिठाने की जुगत में रहते हैं। सवारियों को उतारने में भी इसी तरह की मनमानी सामने आती है। इसके चलते पीछे चल रहे वाहन चालकों को रुकना पड़ता है और जाम के हालात बन जाते हैं।
डीसीपी ट्रेफिक कावेंद्र सागर ने बताया कि यातायात पुलिस ई रिक्शाओं के बेहतर संचालक के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। आमजन के साथ व्यापारियों का भी पुलिस को पूरा सहयोग मिल रहा है। चारदीवारी में ई रिक्शाओं के चलते लगने वाले जाम की समस्या को दूर करने के लिए एक बार फिर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
कलर के हिसाब से जोनवार ई रिक्शा संचालन में खानापूर्ति
कई सालों के बाद जिला कलक्टर ने जोनवार ई-रिक्शा संचालन की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन कलेक्टर की यह अधिसूचना सिर्फ खानापूर्ति लगती है, क्योंकि अधिसूचना में जिन निर्देशों का जिक्र किया है उनकी पालना होना संभव नहीं है। कलेक्टर की अधिसूचना के अनुसार ई रिक्शाओं का संचालन अब कलर के हिसाब से होगा। पुलिस थाना सीमा के हिसाब से अब ई रिक्शाओं का संचालन होगा। लेकिन कलर कैसे होगा कौन करेगा कार्रवाई क्या होगी अधिसूचना में इसका कोई उल्लेख नहीं है। परिवहन विभाग के प्रस्ताव पर कलेक्टर ने यह अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना के अनुसार जयपुर शहर को पुलिस के डीसीपी कार्यालयों के मुताबिक 5 जोन में बांटा है। इसके अलावा जयपुर मेट्रो के स्टेशनों पर आवागमन के लिहाज से भी एक अतिरिक्त जोन बनाया है। इस तरह जयपुर शहर में कुल 6 जोन में अधिकतम 40 हजार ई-रिक्शा संचालित हो सकेंगे। प्रत्येक जोन के लिए कलर कोड निर्धारित किया गया है। जयपुर शहर में कुल 11 मार्गों पर ई-रिक्शा का संचालन नहीं होगा। कलेक्टर ने जेएलएन मार्ग, टोंक रोड (रामबाग सर्किल से लक्ष्मी मंदिर तिराहा), गांधी नगर मोड टोंक रोड से गांधी सर्किल (गांधी मार्ग), जनपथ, भवानी सिंह रोड , सीकर रोड पर खासा कोठी से रोड नंबर -14 तक, कालवाड़ा रोड पर चौंमू पुलिया सर्किल से 200 फीट एक्सप्रेस-वे पुलिया तक, सिरसी रोड से 200 फीट पुलिया तक, पृथ्वीराज रोड पर भी ई-रिक्शा के संचालन को बैन किया है।लेकिन यहां पर ई रिक्शा नजर आ रहे है। ई-रिक्शा के संचालन को लेकर परिवहन विभाग विस्तृत गाइडलाइंस जारी कर चुका है, लेकिन पालना के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। प्रत्येक ई-रिक्शा संचालक को निर्धारित जोन के कलर कोड का बैज लगाना अनिवार्य होगा। साथ ही सीमा क्षेत्र में अतिक्रमण भी नहीं कर सकेंगे।
पुलिस का एक्शन और प्रबंधन नहीं टिक सका ज्यादा दिन
अपराध नियंत्रण में महती जिम्मेदारी निभाने वाली पुलिस ने अब ई-रिक्शा का प्रबंधन पर काम किया था। इसके लिए पुलिस ने अभियान चलाकर ई रिक्शाओं के दस्तावेज जांचने के साथ उनका चालान काटना शुरू किया था। कुछ दिन अभियान चला को शहर का यातायात खुला-खुला नजर आने लगा। लेकिन अभियान थमने के बाद फिर से जयपुर में ई रिक्शा बड़ी संख्या में नजर आने लगे और जाम से हालात पहले जैसे बन गए। ट्रैफिक जाम से बचने के लिए परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के इंतजाम अभी तक नाकाम रहे हैं। ई रिक्शा संचालन को लेकर यातायात पुलिस ने साथ थाना पुलिस को जिम्मेदारी दी गई थी।
अलग लेन बनाने की कवायद सफल नहीं
शुरुआती दौर में ई-रिक्शा के लिए कुछ जगहों पर अलग लेन बनाने की कवायद की गई थी, लेकिन यह फार्मूला भी ज्यादा दिन चल नहीं पाया। अब शहर में आलम यह है कि सड़क के किनारे से लेकर सड़क के बीचों-बीच तक ई-रिक्शा चलते दिख जाते हैं। ऐसे में अगर लेन फार्मूला बनाकर इसे सख्ती से लागू किया जाता तो भी काफी हद तक जाम से निजात मिल जाती ।
परकोटे, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर हाल ज्यादा खराब
ज्यादातर ई-रिक्शा रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड से परकोटे के बीच संचालित हो रहे हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड के बाहर दिनभर जाम के हालात बने रहते हैं, जबकि चांदपोल से छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ के बीच भी दिन में कई बार जाम लगता है। सुबह और शाम के समय एमआई रोड, गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा, अजमेरी गेट और सांगानेरी गेट पर भी जाम के हालात रहते हैं।
शिविर लगाकर यातायात पुलिस ने की थी समझाइश
यातायात पुलिस की ओर से ई-रिक्शा चालकों के लिए जागरुकता शिविर लगाकर समझाइश गई थी। अजमेरी गेट स्थित यातायात पुलिस कार्यालय में जागरूकता शिविर लगाकर समझाइश करने के साथ जागरुकता रैलिया भी निकाली गई थी। इसके साथ ही ई-रिक्शा चालकों को अलग से ट्रेनिंग भी दिलवाई गई थी। इसके साथ ही इनकी पार्किंग की व्यवस्था करने की भी कवायद भी ठंडे बस्ते में चली गई।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश