छत्तीसगढ़ के रायपुर, सुकमा में पूर्व मंत्री उसके पुत्र व सुकमा नगर पालिका अध्यक्ष के मकान में ईडी की छापेमारी
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- Dec 28, 2024
जगदलपुर, 28 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर भारतीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा है। ईडी की टीम ने रायपुर और बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में दबिश दी है। मिली जानकारी के अनुसार भूपेश सरकार में मंत्री रहे कवासी लखमा के रायपुर स्थित धरमपुरा के मकान में और उनके पुत्र सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश लखमा के सुकमा स्थित आवास पर छापेमारी की है। इसके साथ ही नगर पालिका अध्यक्ष जगन्नाथ राजू साहू के आवास पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान मौजूद हैं। रायपुर में पूर्व मंत्री कवासी लखमा के घर में ईडी की टीम जांच-पड़ताल कर रही है। यहां भी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान मौजूद हैं। पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पुत्र हरीश कवासी पिछले दो बार से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। वहीं उनके पिता कवासी लखमा कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं। नगरीय निकाय चुनाव से पहले छापेमारी से कांग्रेस नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि 2161 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में इडी ने ट्रिपल ए यानी आईएएस अधिकारी, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया था। जिसके बाद एसीबी इस मामले में अलग से कार्रवाई कर रही है। वहीं छत्तीसगढ़ में शराब और कोयला घोटाले मामले में ईडी ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 100 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी। इनमें कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व विधायक यूडी मिंज, गुलाब कमरो, शिशुपाल का नाम शामिल हैं। शराब घोटाले में कवासी लखमा पर दर्ज एफआईआर में हर महीने 50 लाख दिए जाने का जिक्र है। वहीं कवासी लखमा के पुत्र वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। ईडी के अधिकारियों की टीम उनके घर पर भी दस्तावेज खंगाल रही है। दर्ज एफआईआर में पूरा सिंडिकेट सरकार के इशारों पर ही चलता रहा। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी इसकी जानकारी थी, और आरोप है कि कमीशन का बड़ा हिस्सा आबकारी मंत्री कवासी लखमा के पास भी जाता था। चार्जशीट के मुताबिक मंत्री रहे कवासी लखमा और तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को 50-50 लाख हर महीने दिए जाते थे।
इससे पूर्व एनआईए ने छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर इलाके में नक्सली मामलों की जांच के तहत कई स्थानों पर छापेमारी की थी। एनआईए की ओर से जारी बयान में बताया गया कि नक्सली मामलों के संदिग्धों और ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के घरों और अन्य जगहों की गहन तलाशी ली, जिसमें कई मोबाइल फोन और सिम कार्ड जब्त किए गए। इसके साथ ही एनआईए ने छत्तीसगढ़ के दूरदराज के गांवों में भी तलाशी ली। यह तलाशी पिछले साल राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान मतदान और सुरक्षा बलाें पर नक्सली हमले से संबंधित थीं। जहां एनआईए ने गरियाबंद और धमतरी जिलों के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रावनडिग्गी, सेमरा, मैनपुर, घोरागांव, केराबहरा और गरियाबंद के गांवों में 11 संदिग्धों के घरों और अन्य स्थानों पर तलाशी ली। जांच में यह पाया गया कि संदिग्धों के ओजीडब्ल्यू और नक्सली समर्थक होने का अनुमान है। एनआईए ने बताया कि इन संदिग्धों के परिसरों से नक्सली पर्चे, पुस्तिकाएं, मोबाइल फोन, डिजिटल डिवाइस, 1.5 लाख रुपये नकद और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई। अब तक इस मामले में एनआईए ने 10 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे