खरीफ अभियान में तकनीक, शोध और उर्वरक पर दिया गया जोर

कानपुर, 08 मई (हि.स.)। मानसून को लेकर समुद्री गतिविधियों में उतार चढ़ाव होने लगा है और किसान भाई खरीफ फसल की तैयारी में जुट जाएंगे। इसको देखते हुए गुरुवार को नई दिल्ली में देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-खरीफ अभियान 2025 का आयोजन हुआ। इस अभियान में मुख्यत: तकनीक, शोध और उर्वरक के अधिक प्रयोग से खेती पर पड़ रहे दुष्प्रभाव पर जोर दिया गया। कृषि मंत्री ने साफ कहा कि यह धरती हमें आगामी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित रखना है। यह जानकारी सम्मेलन में भाग ले रहे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जोन 3 कानपुर के निदेशक डॉक्टर एस के दुबे ने दी।

उन्होंने बताया कि सम्मेलन में 10 से ज्यादा राज्यों के कृषि मंत्रियों ने पूसा कैंपस पहुंचकर और अन्य कृषि मंत्रियों ने वर्चुअल रुप से जुड़े व कृषि की उन्नति की दिशा में केंद्र के साथ मिलकर कार्य करने पर सहमति जताई। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज हमने किसानों की मेहनत से अन्न के भंडार भर दिए हैं। उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। अभी हमने चावल की दो किस्में विकसित की है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा, 20 दिन पहले फसल तैयार हो जाएगी, पानी बचेगा, मीथेन गैस का उत्सर्जन कम होगा, जल्द ही ये किस्में किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी। 2014 के बाद 2,900 नई किस्मों का विकास हमारे वैज्ञानिकों ने किया है।

उन्होंने कहा कि फलों और फूलों की खेती को बढ़ावा देना है। धरती केवल हमारे लिए नहीं है, ये धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वस्थ रखना है। अत्यधिक उर्वरकों के इस्तेमाल से धरती का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। हमें लैब से लैंड तक टेक्नोलॉजी और रिसर्च को पहुँचाना ही होगा। हमारे पास 16 हजार वैज्ञानिक हैं, जिनमें से 4-4 वैज्ञानिकों की टीमें बनाकर जमीनी स्तर पर जागरुकता का अभियान चलाया जाएगा। इन टीमों का उपयोग किसानों की सेवा के लिए होगा।

आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कृषि धीरे-धीरे जलवायु अनुकूल होती जा रही है, जो बड़ी उपलब्धि है। कम हेक्टेयर में ज्यादा उपज के लिए भी कार्य प्रतिबद्धता के साथ चल रहा है। आईसीएआर के डीडीजी (कृषि प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

   

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