कवच प्रणाली से लैस हुआ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का पहला रेल इंजन
- Admin Admin
- Aug 21, 2025
गति के साथ संरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सार्थक कदम
बिलासपुर/ रायपुर 21 अगस्त (हि.स.)। रेल यातायात में संरक्षा और गति क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम “ कवच ” का कार्य दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में प्रारंभ किया गया है।
इस प्रणाली का उद्देश्य ट्रेनों के बीच टक्कर को रोकना तथा लोको पायलट को केबिन में ही वास्तविक समय (रियल टाइम) सिग्नल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना है। यह प्रणाली स्टेशन इंटरलॉकिंग और लोकोमोटिव के बीच संचार नेटवर्क के माध्यम से सिग्नल डेटा का आदान-प्रदान करती है, साथ ही पटरियों पर लगाए गए आरएफआईडी टैग लोकोमोटिव की सटीक स्थिति निर्धारित करने में सहायक होते हैं ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में कवच प्रणाली स्थापित करने का कार्य शुरू
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 551 लोकोमोटिवों (रेल इंजनों) में क्रमिक रूप से कवच प्रणाली स्थापित की जाएगी । इस दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए, लोको नं. 37704 WAP-7 को आज 21 अगस्त 2025 को भिलाई स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में सफलतापूर्वक कवच प्रणाली से लैस किया गया। इस अवसर पर प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे तथा मंडल रेल प्रबंधक, रायपुर की उपस्थिति रही।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत नागपुर – झारसुगुड़ा रेलखंड में कवच प्रणाली स्थापित करने का कार्य शुरू किया गया है, उसी के तहत इस रेल इंजन में कवच लगाया गया है।
यह उपलब्धि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक श्री तरुण प्रकाश के कुशल मार्गदर्शन और सतत निगरानी में संभव हुई है । उनके नेतृत्व में संरक्षा और गति क्षमता को प्राथमिकता देते हुए इस महत्वपूर्ण परियोजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा रहा है । शेष लोकोमोटिवों में भी कवच प्रणाली का कार्य चरणबद्ध रूप से किया जाएगा।
कवच प्रणाली की विशेषताएँ एवं लाभ
यह भारतीय रेलवे की एक उन्नत स्वदेशी संरक्षा तकनीक है, जो ट्रेन संचालन को संरक्षित और कुशल बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है ।
इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो ट्रेनों के बीच आमने-सामने की टक्कर से बचाव सुनिश्चित होगा ।
यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णतः सक्षम है ।
पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्युनिकेशन स्थापित किया जाता है, जिससे स्टेशन इंटरलॉकिंग सिस्टम, सिग्नल तथा समपार फाटकों की जानकारी सीधे लोको पायलट को मिलती है।
ट्रेन की गति सिग्नल की स्थिति-पोज़िशन के साथ स्वतः इंटरलॉक हो जाती है, जिससे संचालन में संरक्षा का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित होता है ।
लोको पायलट को निरंतर सहयोग प्रदान कर यह प्रणाली उच्च गति वाले परिचालन को और अधिक संरक्षित बनाती है ।
यह पूर्णत: स्वदेशी तकनीक है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मार्च 2022 में दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा–चिटगिड्डा स्टेशनों के बीच कवच प्रणाली का सफल जीवंत परीक्षण किया गया था।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में यात्रियों और रेल कर्मियों की संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, महाप्रबंधक तरुण प्रकाश के मार्गदर्शन में इस महत्वपूर्ण परियोजना को लागू किया गया है । कवच प्रणाली भविष्य में भारतीय रेलवे की संरक्षित, आधुनिक और उच्च गति वाली सेवाओं की रीढ़ बनेगी ।
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हिन्दुस्थान समाचार / गेवेन्द्र प्रसाद पटेल



