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शिमला, 12 फ़रवरी (हि.स.)। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुरेश कश्यप ने कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गहरे मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं जिससे पार्टी निराशा और असुरक्षा के दौर से गुजर रही है। कश्यप ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खुद को अपनी ही पार्टी में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कश्यप ने हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार के हालिया बयान का हवाला देते हुए कहा कि तीन महीने पहले पार्टी की इकाइयों को भंग करने के बाद से प्रदेश में कांग्रेस संगठन कमजोर हो गया है। मंत्री ने स्वीकार किया कि पार्टी हाईकमान से नए ढांचे को लेकर कोई संवाद नहीं हुआ है, जिससे संगठनात्मक ढांचे में ठहराव आ गया है।
कश्यप ने तंज कसते हुए कहा कि हिमाचल में कांग्रेस का संगठन और सरकार दोनों ही पंगु हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मजबूत पार्टी और सरकार के लिए सशक्त संगठन जरूरी है, लेकिन ब्लॉक, जिला और राज्य इकाइयों का पुनर्गठन अब तक नहीं किया गया है।
सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस के नेता खुद स्वीकार कर रहे हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी का रवैया उदासीन रहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार तीन विधानसभा चुनावों में शून्य सीटों पर सिमट गई है, जिससे पार्टी के भीतर घबराहट और निराशा का माहौल है।
कश्यप ने कहा कि हिमाचल कांग्रेस में नेतृत्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले साल राज्य के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा देकर कुछ घंटों में ही वापस ले लिया था, जिससे पार्टी में मतभेद सार्वजनिक हो गए थे।
कश्यप ने राज्यसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर कांग्रेस के अभिषेक सिंघवी को भाजपा के हर्ष महाजन से हार का सामना करना पड़ा। इसके पीछे छह कांग्रेस विधायकों का भाजपा के पक्ष में मतदान करना अहम वजह रही। इसके बाद तीन निर्दलीय सहित सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए, जिससे कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लगा।
कश्यप ने कहा कि कांग्रेस में नेतृत्व की कमी और आपसी मतभेदों ने पार्टी को कमजोर बना दिया है, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा