शिमला के एक्साइज इंस्पेक्टर उमेश ने किया एचएएस परीक्षा में टॉप
- Admin Admin
- Jan 07, 2025
शिमला, 7 जनवरी (हि.स.)। शिमला ग्रामीण के जनोल गांव के रहने वाले 29 वर्षीय उमेश ने हिमाचल प्रशासनिक सेवा (एचएएस) परीक्षा-2024 में टॉप कर अपने गांव व परिवार का गौरव बढ़ाया है। उमेश की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और मेहनत के साथ हर सपना पूरा किया जा सकता है।
उमेश वर्तमान में शिमला मुख्यालय में एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। यह पद उन्होंने 2019 में हासिल किया था। नौकरी के साथ-साथ एचएएस की तैयारी करना उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। उमेश बताते हैं कि नौकरी के कारण समय निकालना आसान नहीं था। लेकिन मैंने अपनी दिनचर्या में बदलाव किया और सुबह-शाम पढ़ाई के लिए समय निकाला। समय का प्रबंधन ही मेरी सफलता की कुंजी बना।
सेल्फ स्टडी को दी प्राथमिकता
उमेश ने अपनी तैयारी के लिए सेल्फ स्टडी को अधिक प्राथमिकता दी। हालांकि 2017 में उन्होंने कुछ समय के लिए कोचिंग का सहारा लिया, लेकिन जल्दी ही समझ गए कि खुद की योजना बनाकर पढ़ाई करना अधिक प्रभावी होता है। उन्होंने विषयों की गहन समझ पर ध्यान दिया और रोजाना करेंट अफेयर्स का अध्ययन किया। समाचार पत्र और ऑनलाइन स्रोतों से वे अपने ज्ञान को अपडेट रखते थे।
उमेश का यह सफर आसान नहीं था। एचएएस के लिए यह उनका तीसरा इंटरव्यू था। उमेश ने अपनी मेहनत और कड़ी तैयारी से आखिरकार इस कठिन परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया। वे इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा क्षण मानते हैं। उनका कहना है कि आत्मविश्वास और समर्पण के साथ कोई भी कठिन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। मैंने इस सफलता के लिए हर दिन संघर्ष किया और हर चुनौती का डटकर सामना किया।
उमेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिमला से पूरी की। इसके बाद उन्होंने बद्दी यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सपना देखा। स्वामी विवेकानंद की विचारधारा ने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी।
उमेश ने अपनी कड़ी मेहनत से न केवल एचएएस की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। बल्कि उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की मुख्य परीक्षा भी उतीर्ण की है। जल्द ही वे आईएएस के इंटरव्यू में भाग लेंगे।
परिवार का मिला पूरा सहयोग
उमेश की इस सफलता में उनके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके पिता बिजली बोर्ड से एडिशनल असिस्टेंट इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनकी पत्नी फॉरेस्ट्री में पीएचडी कर रही हैं। उमेश का एक साल का बेटा भी है। परिवार की जिम्मेदारियों के बीच एचएएस की तैयारी करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
उमेश का कहना है कि मेरे परिवार ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। उनकी प्रेरणा और समर्थन के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।
स्वामी विवेकानंद से मिली प्रेरणा
उमेश ने बताया कि स्वामी विवेकानंद की विचारधारा ने उन्हें हर मुश्किल समय में आगे बढ़ने की ताकत दी। वे कहते हैं कि स्वामी विवेकानंद ने सिखाया है कि अगर आप मेहनत और समर्पण के साथ किसी काम में लगे रहते हैं तो सफलता निश्चित है। उनकी विचारधारा मेरे जीवन का मार्गदर्शन करती है।
युवाओं को दिया संदेश
अपनी सफलता से प्रेरित उमेश ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक खास संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हार मानना सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर आप मेहनत करते रहेंगे और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहेंगे, तो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।
समाज की सेवा है मुख्य उद्देश्य
एचएएस बनने के बाद उमेश का मुख्य उद्देश्य समाज की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि वे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास करना चाहते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में सुधार करके समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा