जीवन बीमा और सेविंग प्लान में अंतर सरकार समझाए जनता को : सीए माहेश्वरी 

उदयपुर, 31 दिसंबर (हि.स.)। लम्बे समय से बीमा संबंधी मामलों का अध्ययन कर रहे सीए कैलाश माहेश्वरी ने सरकार से जीवन बीमा के मामलों में जनजागरुकता बढ़ाने और पॉलिसी होल्डर को मिलने वाले लाभों के बारे में स्पष्ट रूप से बताने के लिए बीमा कम्पनियों को पांबद करने की जरूरत बताई है। उन्होंने यह भी कहा कि ​बीमा कराने वाला पॉलिसी होल्डर तो भटकने को मजबूर रहता है, जबकि बीमा एजेंट महंगी गाड़ियां और बंगले मेंटेन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस कमीशन फार्मूले पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर बीमा एजेंट को इतना कमीशन बीमा कम्पनी दे रही है तो जो बेचारा बीमा करवा रहा है उसकी पॉकेट में बीमा कम्पनी कितना लाभांश दे रही है।

सीए माहेश्वरी ने उदयपुर में प्रेसवार्ता में कहा कि वे लम्बे समय से बीमा संबंधी मामलों का अध्ययन तथा बीमा कम्पनियों से विभिन्न मामलों में स्पष्टीकरण के लिए पत्राचार कर रहे हैं। इसमें स्पष्ट रूप से यह सामने आ रहा है कि बीमा कम्पनियां अपने ग्राहक को स्पष्ट रिटर्न की जानकारी नहीं देतीं। आम ग्राहक छोटे अक्षरों में लिखी सैकड़ों इबारतों को पढ़ ही नहीं पाता है। इससे बेहतर तो डाकघर की आरडी और बैंक के पीपीएफ खातों में स्पष्ट रिटर्न पता रहता है और उतना ही मिलता भी है।

माहेश्वरी ने कहा कि सबसे ज्यादा असमंजस सेविंग पॉलिसीज में है। जीवन बीमा में कोई समस्या नहीं है, लेकिन जिस पॉलिसी में अंत में जाकर ग्राहक को रिटर्न मिलने वाला है, उसमें ग्राहक को अपनी जमा पूंजी का सामान्य ब्याज के अनुरूप भी रिटर्न नहीं मिल पाता। इस तरह की पॉलिसीज को सेविंग श्रेणी की पॉलिसी कहते हैं और इनमें विडम्बना इस बात की है कि ग्राहक की मृत्यु हो जाए तो उसकी जमा राशि नॉमिनी को नहींं दी जाती है। यह प्रावधान किसी को पता ही नहीं चल रहा है, ग्राहक तो बेचारा अपनी अगली पीढ़ी के लिए बचत की सोच के अनुसार प्रीमियम जमा करा रहा है, उसे पता ही नहीं है कि यह रिटर्न उसी कंडीशन में मिलेगा जब वह स्वयं जीवित रहेगा, उसकी मृत्यु हो जाने पर सिर्फ उतना ही मिलेगा जितने हिस्से का कम्पनी जीवन बीमा कर रही है। बीमा कंपनियां पॉलिसी में कभी यह स्पष्ट नहीं करतीं कि कितनी राशि बचत के रूप में है और कितनी राशि बीमा की प्रीमियम है।

उन्होंने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं के लिए सेविंग पॉलिसी के बजाय इंश्योरेंस पॉलिसी करवानी चाहिए और वह भी अपनी आय की बीस गुना राशि के बराबर। इंश्योरेंस पॉलिसी में किसी भी तरह की अनहोनी पर नॉमिनी को मिलने वाले कुल रिटर्न की स्पष्टता रहती है।

सीए माहेश्वरी ने कहा कि एक बहुत बड़ी राशि बीमा कम्पनियों के खाते में पड़ी है जो अवधि खत्म होने के बाद भी संबंधित ग्राहकों तक नहीं पहुंची, इसके क्या कारण रहे और अब तक सरकार ने इस पर एक्शन क्यों नहीं लिया, इस पर भी कोई जवाब तलब करने वाला नहीं है। ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर्स एसोसिएशन, मुंबई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2005 तक लैप्स पॉलिसियों और सरेंडर पॉलिसियों के संबंध में पूरी राशि जब्त करके एलआईसी द्वारा रखी गई कुल राशि 4,08,000 करोड़ रुपये थी। सरकार जीवन बीमा पॉलिसियों सहित सभी बचत योजनाओं में जब्ती की शर्तों पर पूर्ण प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती। पीयरलेस जी-एफ-एंड आई कंपनी लिमिटेड 1987 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1987 में ही एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह कहा था की जब्त की शर्तें सभी सेविंग्स योजनाओं, जीवन बीमा पॉलिसियों में बंद कर देनी चाहिए, परन्तु दुर्भाग्य से आज तक जीवन बीमा पॉलिसियों में जब्त की शर्तें जारी है।

जीवन बीमा निगम ने लगभग 10 लाख करोड से 12 लाख करोड़ रुपये शेयर बाजार में निवेश किये है उसका देश की अर्थव्यवस्था को क्या लाभ हुआ है। यदि पैसे मैन्युफैक्चरिंग में, सिंचाई क्षेत्र में निवेश किये होते तो हमारी अर्थवव्यस्था की ग्रोथ आज डबल डिजिट में होती। भारत सरकार बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश करने जा रही है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित होगा, वर्तमान में 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है।

माहेश्वरी ने सरकार को भेजा अपना विजन : मिशन ग्रेट इं​डिया

कैलाश माहेश्वरी ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर राजस्थान प्रदेश को गरीबी, बेरोजगारी एवं मंहगाई मुक्त राज्य बनाने के लिए मिशन ग्रेट इंडिया के बारे में जानकारी दी। यह योजना उन्होंने स्वयं ने बनाई है जिसमें ग्राहकों को बीस लाख रुपये तक का जीवन बीमा बिना कोई प्रीमियम भर पूर्ण रूप से मुफ्त देने की बात कही गई है। इसी तरह इस योजना में पांच लाख तक वृद्धावस्था वार्षिक पेंशन बिना कोई पैसे भरे तथा दो लाख रुपये तक के ऋण की व्यवस्था बिना किसी सिक्योरिटी के दिए जाने का फार्मूला भी उन्होंने शामिल किया है। उन्होंने अपनी इस योजना के बारे में बताते हुए कहा कि उपरोक्त सभी लाभ ग्राहक को विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी के अनुपात में मिल सकेंगे। उन्होंने दावा किया कि यदि इस योजना से कोई व्यक्ति जुड़ता है तो वो परिवार गरीबी रेखा से बाहर हो जाएगा और हम राजस्थान को गरीबी मुक्त राज्य बना सकेंगे। इस विजन में पूरे राजस्थान में दो से पांच लाख तक रोजगार सृजित ​करने की भी बात कही गई है। उन्होंने कहा कि ग्राहक को उपरोक्त सभी लाभ देने के लिए एक कस्टमर वेलफेयर फण्ड की स्थापना की जाएगी जिसका मैनेजमेंट एक कमेटी द्वारा किया जाएगा। इसमें 3 सदस्य कंपनी के होंगे व 2 सदस्य ग्राहक द्वारा मनोनीत होंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता

   

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