लोक लेखा अधिकारी सरकार के वार्षिक खातों को अधिक सरल बनाएंः वित्त मंत्री
- Admin Admin
- Mar 01, 2025

नई दिल्ली, 01 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सिविल अकाउंट्स सर्विसेज के अधिकारियों से सरकार के वार्षिक खातों को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता के लिए सरल बनाने का आह्वान किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नई दिल्ली में 49वें नागरिक लेखा दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर उन्होंने लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की अगुवाई में भारतीय लोक लेखा सेवा (आईसीएएस) के अधिकारियों की ''मौन तकनीकी क्रांति'' के लिए सराहना की, जिसके तहत राज्यों को संचालन में बहुत आसानी हो रही है और सरकारी कामकाज को आसानी से पूरा किया जा रहा है।
सीतारमण ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की 1,200 योजनाओं में से 1,100 अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के तहत हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाए। उन्होंने अपने संबोधन में डीबीटी को बेहतर बनाने में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
वित्त मंत्री ने कहा कि 1200 में से 1100 केंद्रीय और राज्य योजनाएं अब डीबीटी के तहत हैं, जिससे बिचौलिए खत्म हो गए हैं। उन्होंने पीएफएमएस की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसने बिचौलियों को खत्म करके और यह सुनिश्चित करके कि लाभ लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचे, सरकार को सीधे वितरण में महत्वपूर्ण मदद की है। सीतारमण ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां 140 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। यहां हर राज्य की अपनी चुनी हुई सरकार होती है लेकिन सभी वित्तीय व्यवस्थाएं एक साथ जुड़ी हुई हैं और कुशलता से काम कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि देश में भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएएस) की स्थापना 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार के तहत की गई थी। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने 1 मार्च, 1976 को केंद्र सरकार के खातों को लेखापरीक्षा कार्यों से अलग करने संबंधी अध्यादेश जारी किए थे। तब से लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के नेतृत्व में भारतीय सिविल लेखा सेवा वित्तीय प्रशासन में अग्रणी रहा है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर