दलहन-तिलहन, नकदी फसलों की ओर किसानों का बढ़ रहा रूझान: अजय चंद्राकर

धमतरी, 17 अक्टूबर (हि.स.)। जल संचयन से जनभागीदारी के तहत कृषि उपज मंडी कुरुद में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मंत्री व कुरुद विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि, कोई भी कार्य या बदलाव अथवा आयोजन बिना जनभागीदारी के पूरा नहीं हो सकता। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए अब समय आ गया है कि हम अपने स्वार्थ को छोड़कर जनहित और पानी संचय के लिए कार्य करें।

बुधवार की दोपहर कुरुद के नई मंडी प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने आगे कहा कि आज पूरा विश्व पानी की समस्या को लेकर चिंतित हैं। पानी के बिना जीवन की परिकल्पना करना मुश्किल है। जिले में जल एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक है फसल चक्र परिवर्तन। इसके तहत ग्रीष्मकालीन फसल में धान के बदले दलहन और कम पानी मांग वाली फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ग्राम परसतराई की तर्ज पर सभी किसानों को जागरूक होकर दलहन-तिलहन, नकदी फसलों की ओर रूख कर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया। इस अवसर पर कलेक्टर नम्रता गांधी ने लोगों को दलहन, तिलहन और नगदी फसल लेने के लिए लिए प्रोत्साहित किया। मार्कफेड के माध्यम से भारत सरकार के समर्थन मूल्य की तर्ज पर दलहन, तिलहन फसल खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका फायदा उठाएंगे। उन्होंने दलहन, तिलहन और नकदी फसलों के बीमा की प्रक्रिया करने की भी बात कही। कार्यक्रम को रविकर साहेब, कृषि कर्मण्य पुरस्कार से सम्मानित प्रगतिशील किसान भोलाराम साहू सहित अन्य प्रगतिशील किसानों ने संबोधित कर दलहन, तिलहन और नगदी फसलों से होने वाले फायदों को साझा किया और रासायनिक कीटनाशक के दुष्परिणामों के बारे में बताते हुए जैविक पद्धति से खेती करने की बात कही। दलहन, तिलहन, सब्जी की खेती के अलावा मिलेट्स उत्पादन पर भी जोर दिया।

उन्होंने राजस्थान के कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर की खेती की विधि का प्रशिक्षण जिले के किसानों को देने की बात कही। सांसद महासमुंद रूपकुमारी चौधरी ने कहा कि भूजल स्तर में लगतार गिरावट चिंता का विषय है। धमतरी जिला धान उत्पादन में अग्रणी है लेकिन आपको पता है कि धान उत्पादन में अधिक मात्रा में पानी की आवश्कता होती है।

जिले 200 किसानों ने दलहन-तिलहन फसलों के लिए कराया पंजीयन

प्रभारी उप संचालक कृषि मनोज सागर बताया कि, जिले में जल संरक्षण के लिए फसल चक्र परिवर्तन अपनाने के लिए सतत प्रयास किये जा रहे हैं, जिसका असर अब ग्रामीण अंचल के किसानों में दिखाई देने लगा है, जो स्वप्रेरित होकर दलहन-तिलहन फसलों के लिए बीज निगम मे अपना पंजीयन करवा रहे हैं। जिले के लगभग 200 किसान ने पंजीयन के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत किया है, जिसका रकबा लगभग 350 एकड़ के करीब है। बीते वर्षो में जहां दलहन तिलहन का रकबा 14 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 25 हजार हेक्टेयर हो गया है। जिले के परसतराई गांव के किसानों को देखकर अब अन्य गांवों के किसान फसल च्रक परितर्वन को अपनाने आगे आ रहे है। उन्होंने बताया कि जिले के ऐसे किसान जो फसल चक्र परितर्वन करना चाहते है, वे बीज निगम में अपना पंजीयन करवा सकते है। इसके लिए आवश्यक दस्तावेजो में बी-1, खसरा, आधार कार्ड और बैंक पासबुक छायाप्रति की आवश्यकता होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

   

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