संघर्ष और स्वाभिमान से है किसानों के प्रणेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पहचान :कालीचरण सिंह

कार्यक्रम में शामिल लोग

रामगढ़, 2 मार्च (हि.स.)। किसानों के प्रणेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पहचान संघर्ष और स्वाभिमान से है। वे संघर्ष से कभी पीछे नहीं हटे। उनका मानना था कि जीवन में संघर्ष हमारी बढ़ती शक्ति का प्रमाण है। उक्त बातें रविवार को शहर के बिजुलिया तालाब रोड स्थित आशेश्वर सिंह ब्रह्मर्षि धर्मशाला में आयोजित स्वामी सहजानंद सरस्वती की 137वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए चतरा सांसद कालीचरण सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि समाज को संभाल कर हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। समाज के लोगों में समन्वय स्थापित कर बाधाओं के बिना परवाह किए हुए हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भगवान परशुराम के वंशज हैं। यदि स्वाभिमान पर कोई चोट पहुंचाया, तो हम कदम पीछे कभी नहीं हटाएंगे।

समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि शिवकुमार सिंह ने कहा कि ब्रह्मर्षि परिवार कोई जाति नहीं बल्कि एक परिवार का संगठन है। परिवार के अंदर ना कोई उच्च और ना ही कोई नीच है, सभी एक सामान्य है। उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध लड़ने का हम सभी प्रण लें, तभी समाज का समुचित विकास हो सकता है। स्वामी सहजानंद ने किसानों के हक और अधिकार के लिए संगठित किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर नेतृत्व किया था।

समारोह का उद्घाटन चतरा सांसद कालीचरण सिंह, विशिष्ट अतिथि शिवकुमार सिंह, समाज के अध्यक्ष रविंद्र शर्मा, संरक्षक सीपी संतन सहित अन्य ने संयुक्त रूप से स्वामी सहजानंद की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर किया। समारोह का संचालन प्रो संजय सिंह ने किया, जबकि, धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष विभन सिंह ने किया।

समारोह में प्रो के के शर्मा, मुरारी शर्मा, वृंदावन सिंह, प्रदीप सिंह, संजय कुमार राय, नित्यानंद कुमार, अरुण राय, विकास कुमार, शशि भूषण शर्मा, विजय कुमार सिंह, प्रो बालकृष्ण सिंह, रीता तिवारी, बीके चौधरी, अखिलेश शर्मा, पिंटू शर्मा, शशि भूषण सिंह, संजय शर्मा, सियाराम सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश

   

सम्बंधित खबर