पश्चिम बंगाल में पांच हजार से अधिक अवैध पटाखा फैक्ट्रियों पर सख़्ती की मांग तेज, पाथरप्रतिमा विस्फोट के बाद पुलिस पर बढ़ा दबाव
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- Apr 04, 2025

कोलकाता, 04 अप्रैल (हि. स.)। दक्षिण 24 परगना ज़िले के पाथरप्रतिमा इलाके में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट के बाद राज्य पुलिस पर भारी दबाव बन गया है। दो वर्ष पहले राज्य सरकार द्वारा चिन्हित की गई पांच हजार 556 अवैध पटाखा फैक्ट्रियों की निगरानी और कार्रवाई को लेकर अब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार, मई 2023 में पूर्वी मेदिनीपुर ज़िले के एगरा में इसी तरह की एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद राज्य सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक अगस्त 2023 में हुई थी। उस बैठक में पूरे राज्य में पांच हजार 556 अवैध पटाखा इकाइयों की पहचान की गई थी। अब पाथरप्रतिमा विस्फोट के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या पुलिस ने इन इकाइयों की नियमित निगरानी की थी या वे फैक्ट्रियां दोबारा चालू हो गई हैं?
खासतौर पर फैक्ट्री के मालिक चंद्रकांत बनिक की पृष्ठभूमि को देखते हुए यह चिंता और गहराती है। बनिक को 2022 में अवैध पटाखों के कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2023 में उसके 'ग्रीन लाइसेंस' के आवेदन को भी ज़िला प्रशासन की आपत्ति के चलते खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद उसने एक साधारण व्यापार लाइसेंस लेकर अपने घर से ही दोबारा अवैध निर्माण शुरू कर दिया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस को फैक्ट्री के बारे में पहले से जानकारी थी, फिर भी उसे बंद नहीं कराया गया। लोगों का यह भी कहना है कि पहले भी संभावित हादसे की चेतावनी दी गई थी, जिसे पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया।
इस हादसे में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं। फैक्ट्री के सह-मालिक और चंद्रकांता के छोटे भाई तुषार बनिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
अब यह सवाल उठ रहा है कि जब एक पूर्व अपराधी बिना अनुमति के फिर से कारोबार शुरू कर सकता है, तो क्या गारंटी है कि बाकी हज़ारों अवैध फैक्ट्रियां दोबारा नहीं खुली होंगी? राज्य सरकार और पुलिस पर अब यह दबाव है कि वे इन अवैध इकाइयों के खिलाफ सख़्त और सतत कार्रवाई करें ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर