वन अधिकार अधिनियम पर कार्यशाला आयोजित

सोलन, 05 अप्रैल (हि.स.)। राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 एक ऐतिहासिक और प्रगतिशील अधिनियम है, जो लंबे समय से वन भूमि पर जीवन यापन करने वाले नागरिकों को उनका हक देने का कार्य करता है। मंत्री ने यह बात शनिवार को यहां आयोजित वन अधिकार अधिनियम, 2006 (एफआरए) पर एक दिवसीय मण्डल स्तरीय कार्यशाला एवं जन संवाद के दौरान कही।

मंत्री ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वन भूमि पर निवास करने वाले नागरिकों को भूमि का मालिकाना हक देना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वन अधिकार अधिनियम को पूरे राज्य में लागू करने जा रही है और कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को इस अधिनियम के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि पात्र लोग इसका लाभ उठा सकें।

राजस्व मंत्री ने वन अधिकार अधिनियम की प्रक्रिया के बारे में सूक्ष्मता से जानकारी दी और संबंधित अधिकारियों से अधिनियम के तहत किए गए कार्यों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक पंचायत में वन अधिकार समितियां गठित करना अनिवार्य होगा और अधिकारियों को इन समितियों को अधिनियम के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाने और कार्यशालाओं का आयोजन करने के निर्देश दिए।

उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत आने वाले मामलों को ग्राम सभा सत्यापन के लिए उपमंडल स्तरीय समिति को भेजेगी, जो इन मामलों का सत्यापन कर जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत करेगी। इसके बाद उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति मामले का निपटारा करेगी और संबंधित व्यक्ति को वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान करेगी।

मंत्री ने राजस्व अधिकारियों को 31 मई तक वन अधिकार अधिनियम से संबंधित बैठकों का आयोजन करने के निर्देश दिए।

कार्यशाला का आयोजन जनजातीय विकास विभाग के सौजन्य से किया गया था, जिसमें विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार और कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / संदीप शर्मा

   

सम्बंधित खबर