
पानीपत, 15 अप्रैल (हि.स.)। पानीपत जिले का गांव मनाना फिर से सुर्खियों आ गया है। जहां दो माह पहले पेड़ काटने के मामले को लेकर चल रहा विवाद अब गहरा हो गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शिकायत की गंभीरता को समझते हुए इसमें तुरंत संज्ञान लिया और जांच कमेटी गठित कर दी। जांच कमेटी में केंद्र से लेकर राज्य तक के सात अधिकारियों को शामिल किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस कमेटी को इन आरोपों की जांच करके आठ हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
जांच कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, पीसीबी के अधिकारी, पानीपत आरओ, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय चंडीगढ़ के अधिकारी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक चंडीगढ़, पशुपालन डायरेक्टर हरियाणा व एसडीएम समालखा शामिल किए गए हैं। एसडीएम की जिम्मेदारी टीम को कॉर्डिनेट करने की है। ये टीम मौका मुआयना करेगी व पेड़ों की अवैध कटाई की सीमा, काटने व कटवाने वाले जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाएगी।
समालखा के पशु चिकित्सक ने इस मामले की शिकायत वन विभाग को दी थी। शिकायत में बताया गया कि कई पेड़ वर्षों पुराने थे, जिन्हें जड़ से खुदवा दिया गया। जिला वन अधिकारी को दी शिकायत में समालखा के पशु चिकित्सक डॉक्टर शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत सरपंच मानना के द्वारा यह पेड़ काटे गए हैं। डॉक्टर के मुताबिक, जीवीडी मनाना के प्रांगण से कुछ पेड़ पौधे बिना किसी अनुमति के कटवा दिए गए हैं। यह पेड़ सरपंच के कहने पर कांटे गए हैं। जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा