गौ सेवा विभाग ने भूमि सुपोषण से भारतीय कृषि परंपरा को संजीवनी देने का किया आह्वान

हवन पूजन

किसानों को जैविक खेती के फायदे बताते हुए इसे अपनाने के लिए किया प्रोत्साहित

वाराणसी, 10 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गौ सेवा विभाग, काशी उत्तर भाग के प्रेमचंद नगर, बावनबीघा लमही स्थित काशी गोशाला में गुरूवार को भूमि सुपोषण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की प्राचीन कृषि परंपराओं को पुनर्जीवित करने और जैविक खेती को बढ़ावा देना रहा।

कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत कलश पूजन और हवन से हुई, जिसके पश्चात गौ माता की आरती उतारी गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में गौ सेवा काशी प्रांत के अरविंद उपस्थित रहे, जबकि मुख्य वक्ता स्वदेशी जागरण मंच की संयोजक कविता ने भूमि सुपोषण और जैविक कृषि की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कविता ने कहा कि भूमि सुपोषण केवल एक कृषि तकनीक नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने देश में मिट्टी की घटती उर्वरा शक्ति और भूमि सुपोषण को लेकर अपनी बात रखी और बताया कि भूमि सुपोषण, भारतवर्ष में प्राचीन काल से चली आ रही एक महत्वपूर्ण कृषि प्रथा है। जैसे जैसे समय बीतता गया, हम इस आधुनिक कृषि पद्धतियों के युग में आकर, अपनी कृषि परंपरा से दूर होते चले गये। परिणामस्वरूप हमारी माता समान भूमि शक्तिहीन होती गयी। आधुनिक कृषि ने रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग, फ़सलों की विविधता को हटाकर एक ही फ़सल लेने की प्रथा (एकधा सस्यन), पशुधन की जगह जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग, सघन सिंचाई और भूमि का अति प्रयोग हम पर थोप दिया। लोगों को जैविक खेती के फायदे बताते हुए इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

कार्यक्रम में भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान’से भारतीय कृषि परंपरा को जीवित रखने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया गया। किसानों और आम जनमानस को इस दिशा में जागरूक करते हुए जैविक खेती का फायदा बताया गया। इससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, बल्कि जनस्वास्थ्य और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्र सेविका समिति की काशी विभाग धार्मिक प्रमुख वैदेही ने की। उन्होंने भूमि को माता मानकर उसके संरक्षण और पोषण पर बल दिया। इस कार्यक्रम में स्थानीय किसानों, स्वयंसेवकों और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी रही। वक्ताओं ने ‘भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान’ को जन आंदोलन का रूप देने का आह्वान करते हुए भारतीय कृषि परंपरा को फिर से गौरवशाली बनाने का संकल्प लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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