गुवाहाटी, 24 नवंबर (हि.स.)। असम विधानसभा की बिहाली सीट के लिए संपन्न हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की पराजय को लेकर सांसद गौरव गोगोई की कांग्रेस के अंदर काफी फजीहत हो रही है। विदित है कि राज्य की बिहाली सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दिगंत घटोवाल ने कांग्रेस के उम्मीदवार जयंत बोरा को 9051 मतों से चुनाव हरा दिया। जयंत बोरा को कांग्रेस की टिकट दिलाने के लिए गौरव गोगोई ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को नीचा दिखा दिया था।
उल्लेखनीय है कि बीते लोकसभा चुनाव में जोरहाट सीट पर गौरव गोगोई जिताने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा तथा पूरी कांग्रेस ने अपनी सारी ताकत लगा दी थी। गौरव गोगोई कलियाबर क्षेत्र से जोरहाट जाकर काफी संघर्ष के बाद चुनाव जीत सके थे। राज्य के विपक्षी दलों द्वारा बनाया गया पूरा गठबंधन गौरव को चुनाव जीतने के पीछे लग रहा। लेकिन, चुनाव जीतते ही गौरव गोगोई के तेवर सातवें आसमान चढ़ गए। चुनाव जीतने के कुछ ही महीने के अंदर गौरव गोगोई का असली चेहरा सामने आ गया। उन्होंने गठबंधन के मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा को नीचा दिखाते हुए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को प्रदेश अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ निर्णय लेने के लिए बाध्य करा दिया। दरअसल कांग्रेस की राजनीति में रुपए की अधिक अहमियत है। गौरव गोगोई के पास उनके पिता तरुण को द्वारा अर्जित अकूत संपत्ति है। यही वजह है कि कांग्रेस में गौरव गोगोई बगैर किसी अनुभव के ऊंचे स्थान प्राप्त करते रहे हैं। बीते उपचुनाव में गौरव गोगोई, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा के विरोध में खुलकर खड़े हो गए। तय होने के बावजूद गठबंधन के भाकपा उम्मीदवार को बिहाली सीट पर कांग्रेस का समर्थन नहीं दिया गया। गौरव गोगोई ने न सिर्फ अपने पसंद के उम्मीदवार को खड़ा कर अपना नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश की, बल्कि चुनाव के दौरान गौरव गोगोई तथा उनकी टीम ने अपनी पूरी ताकत इस सीट पर लगा दी। उपचुनाव के दौरान यहां तक प्रचार किया जाने लगा कि गौरव गोगोई प्रदेश कांग्रेस के अगले अध्यक्ष तथा असम के अगले मुख्यमंत्री होंगे। चुनाव परिणाम के बाद गौरव गोगोई की एक प्रकार से हवा ही निकल गई है। अब उन्हें उल्टा सफाई देना पड़ रहा है।
इस पराजय का पूरा ठीकरा कांग्रेस के नेता गौरव गोगोई पर फोड़ रहे हैं। न सिर्फ बिहाली सीट पर पराजय, बल्कि राज्य की सभी पांचों सीट पर हुई कांग्रेस की पराजय के लिए गौरव गोगोई को दोषी ठहराया जा रहा है। कांग्रेस के नेता पार्टी आलाकमान को यह समझने में लगे हैं कि गौरव गोगोई के कारण ही गैर-भाजपा वोट में बिखराव आया। राज्य की जनता आस्वस्त नहीं हो सकी कि कांग्रेस के उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव जीत सकेंगे इसलिए लोगों ने अपना वोट कांग्रेस को देकर बर्बाद नहीं किया।
हालांकि, गौरव गोगोई ने इस पराजय का दायित्व स्वीकार किया है। फिर भी गौरव गोगोई अपनी नाक बचाने के लिए अलग-अलग प्रकार के तर्क दे रहे हैं। गौरव गोगोई कह रहे हैं कि अब तक बिहाली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को जितना वोट मिला था, उससे अधिक इस बार मिला है। गौरव का कहना है कि हर चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार 22 से 25 हजार के अंतर से चुनाव हारते रहे हैं। लेकिन, इस चुनाव में हार का अंतर सिर्फ नौ हजार का है। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ 25 दिन चुनाव प्रचार करने के लिए मिला। यदि कुछ समय और मिला होता तो कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव जीत सकते थे। गौरव गोगोई अपनी सफाई में चाहे जो भी कहें, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद उनकी पार्टी के अंदर खूब किरकिरी हुई है।
इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष परोक्ष रूप से राज्य की अन्य सीटों पर हुई पराजय के लिए भी गौरव गोगोई और उनके दिवंगत पिता तरुण गोगोई को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भूपेन बोरा ने बोडोलैंड के सिडली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की करारी हार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दिनों में बोडोलैंड में कांग्रेस के संगठन को खत्म कर दिया गया। आज तक बोडोलैंड में कांग्रेस का संगठन फिर से अस्तित्व में नहीं आ सका।
कुल मिलाकर राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि चुनाव परिणाम के बाद फिलहाल गौरव गोगोई के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की मुहिम पर पानी फिर गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश