- दुर्घटना को दे रहा है न्यौता
- क्या घटना घटने का हो रहा इंतजार
- इसका जिम्मेदार होगा कौन?
चंडीगढ़ में एक ही सरकारी नर्सरी सैक्टर 23 में हैं जिसमें चंडीगढ़ और आस पास के लोग वहां से वाजिब दाम पर पौधे खरीदते हैं। नर्सरी में बना ग्लास हाउस में अलग-अलग तरह के पौधें है। यह ग्लास हाउस खंडहर हो चुका है। जिस की हालत बहुत खस्ता है। अब यह जर्जर हालत में है। सभी दीवारों में दरारें पड़ी है। ऊपर के शीशे टूटे हैं। जो कभी भी टूट सकते हैं। जिस से कोई भी घटना हो सकती हैं। लोहे के एंगलों पर जंग लगा हुआ है। कल कर ग्लास हाउस हैं। इसे गिराकर नए सिरे से बनाया जानाअति आवश्यक है। यहां कार्य करने वाले कर्मचारियों के मन में डर की भावना बनी हुई है। किसी भी समय वहां काम करने वाले कर्मचारी घटना के शिकार हो सकते हैं। जो लोग पौधे लेने आते हैं वे भी ग्लास हाउस में पौधे देखने जाते है और किसी के ऊपर भी शीशा जा दीवार गिर जाती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। यहां यह भी बताना जरूरी है कि इस को लेकर हॉर्टिकल्चर के अधिकारियों कई बार ग्लास हाउस का दौरा कर चुके हैं पर अभी तक ग्लास हाउस की मरमत नहीं करवाई गई। अगर किसी कर्मचारी जा किसी ग्राहक के साथ यहां कोई दुर्घटना घटित होती है तो इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। इस लिए ग्लास हाउस को जल्द से जल्द रेनोवेट करवाना और भी लाजिमी हो जाता है। ज्वाइंट एक्शन कमिटी चंडीगढ़ के संयोजक अश्विनी कुमार ने बताया कि उनकी ओर से इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट चंडीगढ़ के चीफ इंजीनियर को इसकी जर्जर हालत के बारे में पत्र के माध्यम से जानकारी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि सचिव इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, सुपरीटेंडेंटिंग इंजीनियरिंग सर्किल2, एग्जीक्यूटिव इंजीनियरिंग बागबानी विभाग डिवीजन नंबर 2, सब डिविजनल ऑफीसर सब डिविजनल नंबर एक और दो को भी इसकी प्रति भेजी गई है। इसमें उन्होंने ग्लास हाउस को रिनोवेट करने का आग्रह किया है।