गुरुग्राम: सात साल पुराने बिजली चोरी के केस में उपभोक्ता को अदालत से राहत

-बिजली निगम की अपील को उच्च अदालत ने किया खारिज

गुरुग्राम, 18 नवंबर (हि.स.)। बिजली चोरी के मामले में बिजली निगम की अपील पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सौरभ गुप्ता की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बिजली निगम की अपील खारिज कर दी है।

डीएलएफ फेज-4 की उपभोक्ता रश्मि मुखीजा के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार उपभोक्ता के अप्रैल 2017 के बिजली के बिल में 80089 रुपये की अतिरिक्त धनराशि जुडक़र आई थी। जब उपभोक्ता ने बिजली निगम से इस धनराशि के बारे में जानकारी ली तो उसे बताया गया कि 16 फरवरी 2017 को उसका बिजली का मीटर उतारकर निगम की लैब में चैक कराया गया था। जिसमें मीटर टैम्पर्ड पाया गया था। इसीलिए उस पर यह जुर्माना राशि लगाई गई है। उपभोक्ता ने बिजली निगम से गुहार लगाई कि उसने कोई बिजली की चोरी नहीं की है। लेकिन विभाग ने एक नहीं सुनी और उस पर दबाव बनाया गया कि वह जुर्माना राशि जमा कर दे, अन्यथा उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा। जिस पर उसने मजबूरी में जुर्माना राशि जमा कराकर एक जुलाई 2017 को अदालत में बिजली निगम के खिलाफ मामला दायर कर दिया। तत्कालीन सिविल जज विनय काकरान की अदालत ने 19 अप्रैल 2022 को उपभोक्ता के हक में फैसला देते हुए बिजली चोरी को गलत पाया था और बिजली निगम को आदेश दिए थे कि 9 प्रतिशत ब्याज दर से पीडि़त को जुर्माना राशि लौटाई जाए। लेकिन बिजली निगम ने ऐसा नहीं किया और निचली अदालत के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी। उच्च अदालत ने सुनवाई करते हुए बिजली निगम की अपील खारिज कर दी है। अधिवक्ता का कहना है कि अब उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ अदालत में मानहानि का केस दायर करेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर हरियाणा

   

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