28 साल की हुई हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी, अब गिने चुने दिनों की मेहमान
- Admin Admin
- Apr 24, 2025

मंडी, 24 अप्रैल (हि.स.)। 24 अप्रैल 1997 को मंडी कुल्लू मार्ग पर मंडी से चार किलोमीटर दूर बिंदरावणी में स्थापित की गई हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी ने वीरवार को अपनी स्थापना के 28 साल पूरे कर लिए। इस दौरान इस फोटो गैलरी जो अब एक शोध संस्थान का रूप ले चुका है, भरपूर युवा अवस्था में पहुंच गया है, में अब तक 6 लाख से अधिक दर्शक आ चुके हैं। गैलरी में मौजूद टिप्पणी पुस्तिकाओं में दर्ज दर्शकों के उदगार यह साबित करते हैं कि देश भर में यह अपनी तरह की अभूतपूर्व प्रयास है जिसमें एक प्रदेश को एक ही छत के नीचे जहां छायाचित्रों के माध्यम से दिखाया जा रहा है, वहीं प्राचीन काल में जो हमारी दिनचर्या रही है, रहन सहन रहा है, कलात्मक ज्ञान रहा है उसे भी यहां पर दर्शाने का सफल प्रयास हुआ है। प्राचीन काल में अपनों की यादगार के तौर पर स्मृति चिह्न रूप में बनाई जाने वाली पाषाण कृतियां यानी बरसेले जो बदलते समय में जमींदोज हो गए थे तथा खुदाई के दौरान मिले थे उन्हें भी यहां पर रखा गया है जो आगंतुकों खास कर शोधार्थियों के लिए बेहद खास साबित रहे हैं।
पुरातत्व चेतना संघ के माध्यम से अपनी प्राचीन संस्कृति को संरक्षित करने के इरादे से स्थापित की गई इस फोटो गैलरी जिसमें बीरबल शर्मा द्वारा अपने घुम्मकड़ साथियों के साथ 40 साल तक किए गए भ्रमण के दौरान छायांकित चित्र प्रदर्शित हैं को 28 सालों से निशुल्क ही दिखाया जा रहा है।
गैलरी के संस्थापक छायाकार बीरबल शर्मा ने बताया कि इस फोटो गैलरी के महत्व को इसी से आंका जा सकता है कि इसी साल प्रदेश भर के 200 से अधिक स्कूलों के बच्चे अपने शैक्षणिक भ्रमण के दौरान यहां आए। यह सिलसिला पिछले कई सालों से लगातार चला आ रहा है जिसमें साल दर साल बढ़ौतरी हो रही है। कुल्लू मनाली की ओर जाने वाले सैलानियों के अलावा देश के कई प्रतिष्ठित व जानी मानी हस्तियां यहां आ चुकी हैं।
बीरबल शर्मा के अनुसार 2016 में कीरतपुर मनाली फोरलेन की जद में आ जाने के कारण विस्थापन का दंश झेलने के बावजूद इसे लोगों के आग्रह पर दिन रात कड़ी मेहनत करके मई 2023 में फिर से ऐसे स्वरूप व शैली में निर्मित किया गया जो अपने आप में अभूतपूर्व है वह वर्तमान में सबके सामने है। खुली आंखों से देखे सपने के साकार हो जाने जैसा अहसास उस वक्त होने लगा था मगर यह ज्यादा देर तक नहीं रहा। मई 2023 में ही पठानकोट मंडी फोरलेन के लिए यहां पर जंक्शन तैयार करने के लिए फिर से इसे जद में ले लिया गया जो एक तरह से पीठ पर छुरा घोंपने से कम दर्द देने वाला नहीं था। पहले यदि जरा सा कहीं से यह अहसास हो जाता कि ऐसा होने वाला है तो कभी खून पसीना लगाकर सपने को मूर्त रूप देने की कोशिश नहीं करते।
28 वां स्थापना दिवस पर यह घोषणा करते हुए बेहद पीड़ा हो रही है कि अब यह हिमाचल दर्शन कुछ ही दिनों का मेहमान है। शनिवार 26 अप्रैल को इसका विदाई समारोह होगा और उसके बाद धीरे धीरे इसके संग्रह को यहां से हटाना होगा क्योंकि इसके लिए एनएचएआई ने नोटिस जारी कर दिया है जिसकी अनुपालना देर सवेर करनी ही होगी। दो साल तक इस बचाने के लिए हर दरवाजे पर दस्तक दी, 550 से अधिक पत्र लिखे, सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण करने का दम भरने वालों, इसे लेकर भाषण देने वालों से लेकर विनाश की कीमत पर विकास की नीतियां बनाने वालों तक गुहार लगाई मगर सब नकारखाने की तूती साबित हुई। यह बात अलग है कि स्वाभीमान की रक्षा करते हुए किसी के आगे दंडवत होकर नाक नहीं रगड़ी और न कोई गलत तरीका जो आज के जमाने की परिपाटी बन चुका है वह ही अपनाया। अब यह संग्रहालय फिर कहीं बन पाएगा कि नहीं, यकीनन कुछ नहीं कहा जा सकता। इस बात की खुशी है कि 28 साल पहले जब यहां पर यह फोटो गैलरी स्थापित हुई थी उसके बाद इस पूरे क्षेत्र में खुशहाली के एक दौर की शुरूआत हुई जो आज सबके सामने है। खुद के उजड़ जाने का नहीं, क्षेत्र के उभर जाने की खुशी इस स्थापना दिवस पर जरूर है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा