हाड़ोआ उपचुनाव : अल्पसंख्यक बहुल सीट पर तृणमूल और एआईएसएफ के बीच कड़ा मुकाबला

कोलकाता, 28 अक्टूबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की हाड़ोआ विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनाव में मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट (एआईएसएफ) के बीच होगा। यह सीट अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र मानी जाती है और आगामी 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में चार प्रमुख दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं।

माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने इस बार एआईएसएफ के उम्मीदवार पियारुल इस्लाम का समर्थन करने का निर्णय लिया है। पियारुल इस्लाम पेशे से एक युवा अधिवक्ता हैं। उनके सामने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शेख रबीउल इस्लाम हैं, जो पार्टी के युवा चेहरे के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, शेख रबीउल की उम्मीदवारी को लेकर स्थानीय तृणमूल नेतृत्व में असंतोष है, क्योंकि उन्हें एक बाहरी उम्मीदवार माना जा रहा है। पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं का मानना है कि तृणमूल को किसी स्थानीय व्यक्ति को टिकट देना चाहिए था।

इस बार उपचुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चे के बीच सीट-बंटवारे का कोई समझौता नहीं हुआ है, इसलिए कांग्रेस ने हबीब रेज़ा चौधरी को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा ने बिमल दास को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो चार प्रमुख पार्टियों में से इकलौते हिंदू उम्मीदवार हैं।

हाड़ोआ में उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां से तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विधायक हाजी नुरुल इस्लाम को इस साल के आम चुनाव में बशीरहाट से लोकसभा सांसद चुना गया था। हालांकि, 61 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया, जिसके बाद यह सीट खाली हो गई।

हाड़ोआ को वाम मोर्चे के घटक माकपा का गढ़ माना जाता था, जहां 1977 से 2006 तक लगातार आठ चुनावों में माकपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2011 में यह समीकरण बदल गया और तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार यहां जीत हासिल की। 2016 और 2021 के चुनावों में भी तृणमूल के उम्मीदवार विजयी रहे।

हाड़ोआ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, और यहां बंटाईदारों और कृषि मजदूरों की संख्या काफी अधिक है। क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या लगभग दो लाख है, और उपचुनाव में परिणाम काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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