भूकम्प जैसी परिस्थितियों के लिए होना पड़ेगा तैयार : राजेंद्र सिंह

समन्वय अभ्यास में भाग लेते विशेषज्ञसमन्वय अभ्यास में भाग लेते विशेषज्ञ

मेरठ, 18 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य एवं विभाग प्रमुख राजेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 35 जनपद भूकम्प आपदा के प्रति संवेदनशील है। भूकम्प एक ऐसी आपदा है जिसकी कोई प्रारंभिक चेतावनी नहीं है, परंतु हमें ऐसी परिस्थितियों के लिए अभी से तैयार रहना होगा। इस आपदा के कारण विभिन्न दुर्घटनाएं जैसे-अग्नि दुर्घटना, कारखानों में केमिकल की घटना इत्यादि का प्रभाव भी हम सब पर पड़ता है।

उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय सेना के मुख्यालय मध्य कमान द्वारा बुधवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश सब एरिया मेरठ कैंट प्रदेश के 35 भूकम्प आपदा के प्रति संवेदनशील जिलों के साथ भूकम्प एवं अग्नि सुरक्षा पर एक्सरसाइज़ “समन्वय” हेतु राज्य स्तरीय सिम्पोजियम कम टेबल टॉप एक्सरसाइज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य एवं विभाग प्रमुख राजेंद्र सिंह ने भाग लिया। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि टेबल टॉप अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सभी स्टेक होल्डर को प्रदेश में भूकम्प एवं अग्नि दुर्घटना के जोखिम, संवेदनशीलता और इसके प्रबंधन के प्रति जागरूक करना था। जिससे ऐसी आपदा के दौरान सभी विभाग आपसी समन्वय से प्रतिक्रिया करने में सक्षम रहे। पश्चिम उत्तर प्रदेश सब एरिया मेरठ कैंट में आयोजन भी इसी कारण किया गया है, क्योंकि प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों के जनपद भूकम्प संवेदनशीलता के ज़ोन चार में आते है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के पर्यवेक्षक भी इसमें शामिल हुए, क्योंकि इस क्षेत्र में आने वाले किसी भी भूकम्प का प्रभाव सभी सीमावर्ती राज्यों पर भी पड़ता है।

उत्तर भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्र ने बताया कि भारतीय सेना किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश में किसी आपदा की घटना होने पर पूर्ण सहयोग किया जाएगा। एक्सरसाइज़ “समन्वय” से केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों, केंद्र और नागरिक समाज संगठनों सहित प्रतिक्रिया बलों के विभिन्न विभागों के स्टेक होल्डरों के बीच आपसी समन्वय एवं जानकारियों को आपस में साझा करने में महत्वपूर्ण सहयोग भी मिलेगा। टेबल टॉप अभ्यास की शुरुआत भूकम्प और अग्नि खतरों के प्रबंधन पर चर्चा से शुरू की गई। वैज्ञानिक एफ डॉ. एचएस मंडल ने भूकम्प की निगरानी, पूर्व चेतावनी के सम्बंध में व्याख्यान दिया।

प्रथम सत्र में भारतीय सेना, भारतीय रेलवे, एनडीआरएफ, राष्ट्रीय भूकम्प विज्ञान केन्द्र, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण तथा राष्ट्रीय भूकम्प विज्ञान केन्द्र पूर्व चेतावनी एजेंसियों और अन्य राज्य सरकार के विभागों, अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाओं, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राज्य आपदा मोचन बल, श्रम विभाग तथा सीआरओपीसी नई दिल्ली के प्रतिनिधियों ने भूकम्प एवं आग से संबंधित घटनाओं से निपटने के दृष्टि से अपने-अपने विभागों की क्षमताओं, चुनौतियों और तैयारियों पर व्याख्यान दिया।

गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान के निदेशक ने वर्ष 2001 में भुज में हुए भूकम्प दुर्घटना एवं मुख्य अग्निशमन अधिकारी, कानपुर नगर ने कानपुर के बांसमंडी में वर्ष 2023 में हुए अग्नि दुर्घटना के दौरान विभागों द्वारा किए गए प्रतिक्रिया, चुनौतियाँ और इस तरह की आपदा के दौरान कैसे बेहतर प्रतिक्रिया की जाये के बारे में सभी प्रतिभागियों को बताया। 20 सितम्बर को सभी 35 जनपदों में स्कूल, अस्पताल, फैक्ट्री, रेलवे क्षेत्र, शासकीय भवन एवं शॉपिंग मॉल में मॉक एक्सरसाइज़ का प्रशिक्षण किया जाएगा।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में सभी 35 जनपदों के अपर जिलाधिकारियों (वित्त/राजस्व) के साथ जनपद की तैयारियों, समन्वय एवं प्रतिक्रियाओं के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी। इस अवसर पर आपदा राहत एवं बचाव कार्य में प्रयोग होने वाले उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसका उपस्थित अधिकारियों द्वारा अवलोकन किया गया। जिला सूचना अधिकारी सुमित कुमार ने दूरसंचार उपकरणो का अवलोकन किया तथा संबंधित से दुर्गम क्षेत्रों में आपदा के समय दूरसंचार कार्य प्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त की।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.कुलदीप त्यागी

   

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