शीतलहर से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए सुझाव एवं दिशा-निर्देश
- Neha Gupta
- Dec 19, 2024
होशियारपुर : सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. पवन कुमार शगोत्र ने लगातार बढ़ रही ठंड को देखते हुए विस्तृत एडवाइजरी जारी की है। गौरतलब है कि तापमान में गिरावट देखी जा रही है और लंबे समय तक ठंड में रहने से फ्लू, नाक बहना, हाइपोथर्मिया, शीतदंश आदि जैसी कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे ठंड के मौसम से खुद को बचाने के लिए विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के बारे में अधिक जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डा. पवन कुमार ने कहा कि लोगों को आने वाली शीतलहर की स्थिति से खुद को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के निदेशरें का पालन करना चाहिए उन्होंने कहा कि शीत लहर तब मानी जाती है जब न्यूनतम स्टेशन तापमान मैदानी इलाकों के लिए 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 0 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से फ्लू, नाक बहना जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे लक्षणों के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। शीत लहर के दौरान जितना संभव हो घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क से बचने के लिए यात्र कम से कम करें। ढीले ढाले और कई परतों वाले कपड़े पहनें। टाइट कपड़े रक्त संचार को कम करते हैं।
कपड़ों की एक परत के बजाय पवनरोधी गर्म ऊनी बहु- परत वाले कपड़े पहनें। अपने आप को सूखा रखें। गीले होने पर अपने सिर, गर्दन, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढकें क्योंकि सर्दियों में सबसे ज्यादा नुकसान शरीर के इन्हीं हिस्सों से होता है।
दस्ताने के स्थान पर मिटन को प्राथमिकता दें, मिटन अधिक गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, क्योंकि उंगलियां अपनी गर्माहट साझा करती हैं और ठंड के संपर्क में कम सतह क्षेत्र को उजागर करती हैं, गर्मी के नुकसान को रोकने के लिए टोपी और मफलर का उपयोग करें, इंसुलेटेड/ वॉटरप्रूफ जूते पहनें। शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए स्वस्थ भोजन खाएं।
पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल, शहद, गुड़ और मौसमी सब्जियां खाएं। नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पिएं, क्योंकि यह ठंड से लड़ने के लिए शरीर की गर्मी बरकरार रखेगा। अपनी त्वचा को नियमित रूप से तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से मॉइस्चराइज करें, बुजुर्गों और बच्चों का ख्याल रखें।
लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो सकती है, और शरीर के खुले हिस्सों पर काले छाले हो सकते हैं और तुरंत चिकित्सा सलाह लें। शीतदंश के लक्षणों पर ध्यान दें, जैसे उंगलियों, पैर की उंगलियों, कानों और नाक की नोक का सुन्न होना, ठंड के संपर्क में आने पर सफेद या पीला दिखना। शीतदंश वाले क्षेत्रों का उपचार गुनगुने (गर्म नहीं) पानी से करें। ठंड के झटके के गंभीर संपर्क से हाइपोथर्मिया हो सकता है।
शरीर के तापमान में गिरावट जिससे बोलने में कठिनाई, नींद आना, मांसपेशियों में अकड़न, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हाइपोथर्मिया एक आपातकालीन स्थिति है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है हाइपोथर्मिया/शीतदंश से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के लिए यथाशीघ्र चिकित्सा सहायता लें, बहती नाक के लक्षणों के लिए चिकित्सा सलाह लें।