रामगढ़, 17 नवंबर (हि.स.)। रामगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव इस बार कई मायनों में काफी दिलचस्प हो गया है। इस चुनाव में एक तरफ जहां सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहीं दूसरी तरफ ममता देवी भी अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए सारे दांव खेल रही है। कोई भी प्रत्याशी अपनी तरफ से ऐसी कोई चूक नहीं करना चाह रहा है, जिससे जनता को उसे नकारने का मौका मिल जाए।
जबरदस्त राजनीतिक रस्साकसी के साथ ही बेहतर बूथ मैनेजमेंट भी इस चुनाव में कारगर साबित होगा। वर्ष 2019 में जहां रामगढ़ विधानसभा में चंद्र प्रकाश हराओ का नारा गूंज रहा था, वहीं 2024 के चुनाव में उनके खिलाफ जनता में कोई नाराजगी नहीं दिख रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि उपचुनाव में अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को जिताने के बाद भी ऐसा कोई कदम चंद्र प्रकाश चौधरी ने नहीं उठाया, जिससे शहर से लेकर गांव तक की जनता को कोई दिक्कत हो। यहां तक कि पति और पत्नी दोनों ने मिलकर पूरे डेढ़ वर्षो में लगातार क्षेत्र का भ्रमण किया और जनता में अपनी खोई हुई साख को वापस पाने में कामयाब रहे।
संघर्ष की जमीन से उभरी ममता देवी को रामगढ़ की जनता ने आंचल में विधायक की सीट दी। जिस समय ममता देवी विधायक बनीं, उसी समय उनके गठबंधन की सरकार भी राज्य में बनी। लेकिन ममता देवी राज्य सरकार की योजनाओं और उनके संसाधनों का सही उपयोग नहीं कर पाईं। नतीजा यह हुआ कि उपचुनाव में उनके पति बजरंग महतो को करारी हार का सामना करना पड़ा। सजा पर रोक लगने के बाद चुनावी मैदान में उतरी ममता ने इस चुनाव को काफी दिलचस्प बनाया। अब वह अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने में जुट गई हैं ।
तीन वर्षों तक विधायक की कुर्सी पर रहने के बावजूद ममता देवी शायद रामगढ़ की जनता के बीच वह भरोसा नहीं पैदा कर पाईं, जो चंद्र प्रकाश चौधरी ने अपने दम पर किया था। वर्तमान चुनाव में चंद्र प्रकाश चौधरी और उनकी पत्नी सुनीता चौधरी के खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी जैसा माहौल नहीं दिखाई दे रहा। ऐसे में ममता देवी जनता के रुख को अपनी ओर मोड़ने में कितना कामयाब हो पाती हैं, यह तो 20 नवंबर को ही पता चलेगा।
इस चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 2019 वाली गलती को नहीं दोहराया है। इस बार पूरी मजबूती के साथ भाजपा और आजसू एक होकर चुनाव मैदान में उतरे। लगातार एग्रेसिव चुनाव प्रचार भी किया। यहां भाजपा के कई दिग्गज नेता इस जमीन पर आ चुके हैं। साथ ही आजसू पूरी ताकत के साथ गली-गली, घर-घर घूम रही है। यहां तक की बागियों को मनाने में भी चंद्र प्रकाश चौधरी कामयाब रहे हैं।
विधानसभा के चुनाव में भ्रष्टाचार को एक बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया। बांग्लादेशी घुसपैठ और रोजगार के मुद्दे पर खूब चर्चा हुई। एक तरफ जहां भाजपा ने भी रोजगार की गारंटी दी। वहीं हेमंत सरकार ने 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा कर दिया। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को मंईयां सम्मान योजना पर ज्यादा भरोसा है। इसके अलावा बिजली बिल माफी को लेकर भी चर्चा हो रही है। अब देखना यह है कि जनता भाजपा की गारंटी पर भरोसा करती है या झामुमो के वादे को अपनाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश