संतों की अगुआई में हिंदू समाज ने भरी हुंकार, बंद हो बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार

बांग्लादेश के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का विरोध करते हिंदू समाज

कानपुर, 10 दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले व अत्याचार को लेकर सोमवार को संतों की अगुआई में हिंदू समाज ने हुंकार भरी। विरोध दर्ज करते हुए समग्र हिंदू समाज के वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार बंद होना चाहिए। इसके लिए सरकार को भी आगे आना चाहिए और अब हिंदू समाज जाग गया है, विश्व के किसी भी कोने में हिंदुओं पर अत्याचार होगा तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बांग्लादेशी हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति के आह्वान पर संतों के नेतृत्व में हिन्दू समाज ने बांग्लादेशी हिन्दुओं की रक्षा के लिए बड़े चौराहे स्थित जी एन के विद्यालय में विशाल धरना दिया। धरने के पश्चात भारी संख्या में समग्र हिन्दू समाज ने अत्याचार के खिलाफ विरोध में पदयात्रा निकालते हुए मंडलायुक्त कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सहायक मंडलायुक्त रेणु सिंह को सौंपा। धरने का नेतृत्व पनकी श्रीहनुमान मन्दिर के पूज्य महंत जितेंद्र दास, कृष्ण दास, बाबा सिद्धनाथ धाम महंत बालयोगी अरुण चैतन्य पुरी, बाबा आनंदेश्वर मन्दिर महंत अरुण भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से वीरेंद्र जीत सिंह, भवानी भीख, प्रांत प्रचारक श्रीराम सिंह, डॉ श्याम बाबू गुप्ता ने किया।

हिंदू संगठनों पर चल रही दमनकारी नीति

पूर्व क्षेत्र संघचालक वीरेंद्र जीत सिंह ने कहा कि बांग्लादेश में पांच अगस्त से हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों पर हमले हो रहे हैं। मंदिर चर्च और मठ गिराए जा रहे हैं। इस्कॉन के स्वामी चिन्मय कृष्णा दास के द्वारा हिंदुओं के विशाल विरोध प्रदर्शन को संबोधित करने के आधार पर उनको गिरफ्तार किया गया। उनको जमानत भी नहीं मिल सकी। अब उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है। वहां शासन का दमन चक्र हिंदू संगठनों की आवाज कुचलने में लगा है। यह भी स्पष्ट है कि हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों का बांग्लादेश में सुनियोजित तरीके से उत्पीड़न कराया जा रहा है। बांग्लादेश के फासीवादी शासन ने ही आतंकियों व कट्टर पंथियों को बे रोक-टोक धार्मिक उन्माद फैलाने दिया है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी भारत में राजनीतिक शरण ली है। बांग्लादेश की स्थिति पर भी यूएनओ का सत्र बुलाया जाना चाहिए जहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों को हर मंच पर यह विषय उठाना चाहिए। बांग्लादेश, पाकिस्तान व अन्य पड़ोसी देश जो 20वीं शताब्दी में भारतवर्ष के ही हिस्से थे, वहां हिंदू अल्पसंख्यक बड़ी संख्या में रहते है। उन पर अत्याचार होना उस देश का आंतरिक मामला नहीं है। बांग्लादेश सरकार का यह कथन अस्वीकार्य है। वे अपने नागरिकों को सुरक्षा नहीं प्रदान कर रहे।

जहां पर बढ़ी मुस्लिम आबादी, वहीं पर हुए दंगे

जितेंद्र दास जी महाराज ने कहा कि संपूर्ण विश्व की स्थिति काफी चिंताजनक है। इतिहास गवाह है जिस देश में या जिस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बढ़ी है, वहां पर दंगे हुए हैं और हिंदुओं को टारगेट किया गया है। मुसलमान बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं को टारगेट करके उनके प्रतिष्ठान मंदिर एवं घरों को नष्ट कर रहे हैं तथा हिंदुओं का कत्ल कर रहे हैं। यह घटना लगभग एक महीने से हो रही है। इस जघन्य अपराध पर न तो मानवाधिकार आयोग आवाज उठा रहा है और न ही संयुक्त राष्ट्र संघ।

एकजुट नहीं हुए तो सब होंगे प्रताड़ित

कानपुर बार एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह ने कहा कि पूर्व वक्ताओं द्वारा दिए आंकड़ों से यह समझने की अत्यंत आवश्यकता है कि यदि हिंदू जनमानस एकजुट नहीं हुआ एवं सशक्त नहीं हुआ तो निश्चित रूप से हम सब प्रताड़ित एवं ऐसे कुत्सित अपराधियों द्वारा शिकार होते रहेंगे।

यह रहे मौजूद

विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, वैचारिक, व्यापारिक, अधिवक्ता व राजनैतिक संगठनों से मेयर प्रमिला पांडे, समाजसेवी नीतू सिंह, नवेंदु, विधायक महेश त्रिवेदी, राहुल बच्चा सोनकर, सुरेंद्र मैथानी, एमएलसी अरुण पाठक, जिलाध्यक्ष दीपू पांडे, शिवराम सिंह, सरदार नीतू सिंह, गुरविंदर सिंह छाबड़ा, बॉबी पाठक, राकेश तिवारी, सत्येंद्र द्विवेदी, दिनेश शुक्ल, दिलीप अवस्थी, शिरोमणि शुक्ला, ओमेन्द्र अवस्थी, डॉ. उपासना, मुकुंद मिश्रा, ज्ञानेश मिश्र, फैसल सिद्दीकी, मानू अवस्थी, शैलेन्द्र त्रिपाठी, युवराज, प्रमोद विश्वकर्मा समेत भारी संख्या में विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल, मातृशक्ति, दुर्गावाहिनी, भाजपा, हिन्दू जागरण मंच, स्वदेशी जागरण मंच, सेवा भारती, युवा मोर्चा समेत विभिन्न संगठनों से भगिनी बन्धु उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह

   

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