हिमाचल के हिमईरा उत्पादों की देश भर में बढ़ी मांग, एक माह में मिले एक हज़ार ऑर्डर

शिमला, 09 फ़रवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को सशक्त और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू किए गए ‘हिमईरा’ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की जनता में अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा बीते तीन जनवरी 2025 को लॉन्च किए गए himira.co.in को महज एक महीने में देशभर से 1,050 ऑनलाइन ऑर्डर मिले हैं।

एक सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों में हिमाचली शिल्प और उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से अब राज्य के 30,000 स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाएं सीधे राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच रही हैं। इससे ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का बड़ा अवसर मिल रहा है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बना रही है, बल्कि राज्य की पारंपरिक हस्तकला और जैविक उत्पादों को भी देशभर में पहचान दिला रही है। हिमईरा के उत्पादों को केंद्रीय मंत्रियों और गणमान्य व्यक्तियों को उपहारस्वरूप भेंट किया जा रहा है, जिससे इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।

गोबर से उत्पाद बनाकर जसविंद्र कौर बनीं आत्मनिर्भर

एक सरकार प्रवक्ता ने बताया कि सोलन जिले की जसविंद्र कौर पहले मुश्किल से 1,000 रुपये महीना कमाती थीं। ‘साईनाथ स्वयं सहायता समूह’ से जुड़कर उन्होंने गाय के गोबर से उत्पाद बनाने का काम शुरू किया और अब उनकी मासिक आय 20,000 रुपये पहुंच गई है। जसविंद्र कौर कहती हैं, पहले बच्चों की स्कूल फीस देना भी मुश्किल था, लेकिन अब मैं उनके भविष्य के लिए निवेश कर पा रही हूं।

डोना-पत्तल उद्योग से मेघा देवी ने बदली तकदीर

प्रवक्ता ने कहा कि कांगड़ा के सुलह की मेघा देवी ने ‘श्री गणेश स्वयं सहायता समूह’ से जुड़कर डोना-पत्तल बनाने का काम शुरू किया। पहले वह 5,000 रुपये मासिक कमाती थीं जो अब 20,000 रुपये हो गई है। पहले वह पूरी तरह अपने पति की आय पर निर्भर थीं, लेकिन अब खुद आत्मनिर्भर बन गई हैं।

लाहौल-स्पीति में रिग्जिन ने बढ़ाया हिमाचली हथकरघा का दायरा

प्रवक्ता ने आगे कहा कि लाहौल-स्पीति के केलांग की रिग्जिन ने ‘कांगला बेरी स्वयं सहायता समूह’ से जुड़कर कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़ा व्यवसाय शुरू किया। पहले उनकी मासिक आय 4,000 रुपये थी, लेकिन अब 25,000 रुपये हो गई है। वह अब अपने उद्यम को और विस्तार देने की योजना बना रही हैं।

आईटी नौकरी छोड़ मशरूम की खेती से आर्थिक मजबूती

उन्होंने कहा कि हमीरपुर की अनीता देवी पहले एक निजी आईटी कंपनी में 5,000 रुपये मासिक वेतन पर काम करती थीं। स्वयं सहायता समूह के जरिए मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद अब उनकी मासिक आय 20,000 रुपये पहुंच गई है। वह कहती हैं कि अब मैं न केवल अपने परिवार को सहारा दे रही हूं, बल्कि दूसरों को भी सशक्त बना रही हूं।

हिमईरा से जुड़कर महिलाएं बना रहीं अपनी पहचान

प्रवक्ता के अनुसार हिमईरा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि प्रदेश की पारंपरिक हस्तशिल्प कला और जैविक उत्पादों को भी देशभर में पहचान दिला रही हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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