पूर्व रॉ प्रमुख के खुलासे कोई नई बात नहीं, अब्दुल्ला के अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए समर्थन पर हैरान नही हूं -महबूबा
- Neha Gupta
- Apr 17, 2025


श्रीनगर, 17 अप्रैल । पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि वह पूर्व रॉ प्रमुख ए एस दुलत द्वारा अपनी नवीनतम पुस्तक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का निजी तौर पर समर्थन करने के बारे में किए गए खुलासे से हैरान नहीं हूं।
दुलत के खुलासे मेरे लिए कोई नई बात नहीं हैं। यह पिता-पुत्र जोड़ी (फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला) 3 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए थे। फारूक साहब संसद भी नहीं गए, 5 अगस्त, 2019 को वह वहीं रुके। इसलिए मेरे लिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। महबूबा मुफ्ती श्रीनगर में पीडीपी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहीं थी।
बता दें कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को निरस्त कर दिया था।
मुफ्ती ने यह भी दावा किया कि 2014 में उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए अमित शाह से मुलाकात की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने शाह से कहा था कि पीडीपी के साथ सरकार न बनाएं बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ जाएं और वह भी बिना शर्त।
दुलत की किताब जिसका शीर्षक “द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई” है, 18 अप्रैल को रिलीज होने वाली है।
मुफ्ती ने यह भी दावा किया कि 2015 से 2018 तक पीडीपी के भाजपा के साथ गठबंधन की आधारशिला यह थी कि अनुच्छेद 370 को छुआ नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि उन दो साल और 10 महीनों में अनुच्छेद 370 को छुआ नहीं गया।
मुफ़्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री पसमांदा मुसलमानों के उत्थान की बात करते हैं, “मैं मोदीजी से पूछना चाहती हूँ कि क्या मध्य प्रदेश में मदरसा या उत्तर प्रदेश में 100 साल पुरानी मस्जिद को तोड़ना मुसलमानों का उत्थान है?” उन्होंने यह भी कहा कि देश के मुसलमानों को वक्फ संशोधनों के खिलाफ़ शांतिपूर्ण तरीके से लड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं भारत में अपने साथी मुसलमानों से अनुरोध करती हूं कि वे इसके (वक्फ कानून) खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से लड़ें। मुर्शिदाबाद में जो हुआ वह अच्छा नहीं था। भारत में मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की धारणा पर मुफ्ती ने कहा कि उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए जैसा आतंकवादियों ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ किया।