मधुमेह प्रबंधन में चिकित्सक से अधिक भूमिका है मरीज की-डॉ. एन.के. अग्रवाल

अजमेर, 15 जनवरी(हि.स.)। संतुलित जीवन शैली के साथ ही तनाव रहित जीवन, पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम ही है मधुमेह से बचाव और उपचार का सबसे सही तरीका। सूचना केंद्र मे आयोजित मधुमेह प्रबन्धन से सम्बन्धित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एन. के. अग्रवाल ने कहा कि मधुमेह प्रबंधन में चिकित्सक से अधिक भूमिका मरीज की होती है।

डॉ. एन. के अग्रवाल ने कहा कि मधुमेह रोग के प्रबंधन में मरीज की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। चिकित्सक इस प्रबंधन को त्वरित कर सकते है। मधुमेह के निदान का वर्णन महर्षि सुश्रुत द्वारा किया गया था। वर्तमान में रक्त में उपस्थित शर्करा के स्तर के अनुसार मधुमेह का निर्धारण किया जाता है। मधुमेह रोग होने से पहले भी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इसकी पहचान आनुवांशिक कारकों, घाव भरने में समय लेने, वजन में कमी, पिंडली में दर्द, बेहोसी आना जैसे लक्षणों से की जा सकती है। मधुमेह का प्रभाव हृदय तथा वृक्क (किड़नी) पर अधिक होता है। इसके साथ-साथ अन्य अंगों पर भविष्य में होने वाले दृष्परिणामों को रोकने के लिए शर्करा नियन्ति्रत करना आवश्यक है ।

उन्होंने बताया कि मधुमेह के कारण रक्त वाहिनियों सिकुड़ने लगती हैं। इससे अंगों को होने वाला रक्त प्रवाह कम होने लगता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव सूक्ष्म रक्त नलिकाओं वाले अंगों पर अधिक होता है। इस प्रकार अंग के हृदय, आंखे तथा वृक्क है । आंखों में सूजन बढ़ने लगती है। वर्तमान में अंधेपन के कारणों मधुमेह प्रमुख है। मधुमेह से रक्त में वसा की मात्रा में भी बदलाव आता है। इसलिए खाने तथा पीने की मात्रा एवं प्रकार पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि मधुमेह के मरीज को शर्करा युक्त पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। आम, अंगूर, चीकू एवं केला जैसे अति मीठे फल भी नहीं खाने चाहिए। चावल में गेहूं की अपेक्षा अधिक शर्करा होती है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए मोटे अनाज का प्रयोग लाभदायक होता है। अधिक रेशे वाली सामग्री को अपने भोजन में शामिल करना उपयोगी रहेगा। देर से पचने वाले मोटे अनाज तथा रेशे रक्त में शर्करा का स्तर एकाएक नहीं बढ़ने देते हैं। उन्होंने कहा कि मधुमेह के रोगी को भोजन में विविधता लानी चाहिए। तेल को बदल-बदल का उपयोग करें। प्रोटीन के लिए शाकाहारी व्यक्ति पनीर का तथा अन्य अंडे के केवल सफेद भाग को काम में लें । नियमित व्यायाम करने से अतिरिक्त शर्करा उपयोग में आएगी। लम्बे कदमों से पैदल चलना भी अच्छा व्यायाम है। तैराकी भी की जा सकती है। जिम जैसी कड़ी कसरत की आवश्यकता नहीं रहती है। इस प्रकार के उपायों को अपनाने पर भी मधुमेह नियन्त्रण नहीं होने पर चिकित्सक की सलाह से दवा लेनी चाहिए। रक्त की जांच के लिए सुई को अंगुली को टिप के स्थान पर साइड का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे दर्द कम होगा। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

   

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