वृक्षारोपण कार्यों का होगा तृतीय पक्ष मूल्यांकन

जयपुर, 8 जनवरी (हि.स.)। वन विभाग ने वृक्षारोपण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए तृतीय पक्ष मूल्यांकन की प्रक्रिया लागू कर दी है। बुधवार को जयपुर स्थित शासन सचिवालय में वन मंत्री संजय शर्मा की उपस्थिति में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट (आईआईएफएम) भोपाल और एरिड फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आफरी) जोधपुर के साथ वृक्षारोपण कार्यों के मूल्यांकन के लिए समझौता (एमओयू) किया गया।

इस पहल का उद्देश्य मौजूदा मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, समयबद्ध परिणाम सुनिश्चित करना और कमियों को दूर करना है। नई प्रक्रिया के तहत किसी भी वर्ष में किए गए वृक्षारोपण कार्यों में से 35 प्रतिशत कार्यों का शत-प्रतिशत तृतीय पक्ष मूल्यांकन करवाया जाएगा। मूल्यांकन प्रक्रिया में पांच चरणों के दौरान रैंडम सैम्पलिंग के आधार पर एक ही कार्य का एक से अधिक बार मूल्यांकन किया जा सकता है।

विभाग ने यह भी तय किया है कि तृतीय पक्ष द्वारा किए गए कार्यों में से 10 प्रतिशत कार्यस्थलों का चयन क्रमरहित प्रतिचयन पद्धति (रैंडम सैम्पलिंग) से किया जाएगा और विभाग की उपस्थिति में उनकी क्रॉस चेकिंग की जाएगी। इसके अतिरिक्त, कुछ कार्यस्थलों का मानव रहित एरियल वाहन तकनीक (यूएवी) के जरिए मूल्यांकन किया जाएगा। सत्यापन के बाद तृतीय पक्ष विभाग को मूल्यांकन प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।

वर्ष 2024-25 में आईआईएफएम भोपाल द्वारा अजमेर, कोटा और उदयपुर संभाग के 132 वृक्षारोपण कार्यों (6342.72 हेक्टेयर), आफरी जोधपुर द्वारा बीकानेर और जोधपुर संभाग के 97 वृक्षारोपण कार्यों (3178.97 हेक्टेयर) और सीडेक्स जयपुर द्वारा भरतपुर और जयपुर संभाग के 77 वृक्षारोपण कार्यों (3600 हेक्टेयर) का मूल्यांकन किया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

   

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