भारत 2047 में हाेगा एक विकसित राष्ट्र : प्रो. जीबीएस जौहरी
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- Oct 26, 2024
- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बरकछा में विकसित भारत 2047: प्रबंधकीय अवसर और चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
मीरजापुर, 26 अक्टूबर (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बरकछा में वाणिज्य विभाग की ओर से विकसित भारत 2047: प्रबंधकीय अवसर और चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार को सम्पन्न हुई। शुभारंभ मुख्य अतिथि एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. डीएस चौहान, विशिष्ट अतिथि प्रो. आशा राम त्रिपाठी, प्रो. एचके सिंह आदि ने मालवीयजी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर किया।
एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. डीएस चौहान कहा कि यदि पेशेवर दृष्टिकोण, तकनीकी उन्नयन और ग्राहक संतुष्टि पर गंभीरता से जोर दिया जाए तो भारत 2047 में एक विकसित राष्ट्र का रूप प्राप्त कर लेगा। भारत में सुपर फास्ट आर्थिक शक्ति का रुप प्राप्त करने की सबसे अधिक क्षमता है, क्योंकि हमारे पास विशेषज्ञता के साथ ही जनसांख्यिकीय लाभांश भी है।
आचार्य प्रभारी प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने विकसित भारत के संबंध में स्वामीनाथन समिति के विशेष कृषि क्षेत्र के कार्यान्वयन पर जोर दिया। वाणिज्य संकाय प्रमुख प्रो. एचके सिंह ने विकासशील भारत को विकसित भारत में परिवर्तित करने के लिए भारतीय प्रबंधन प्रणाली को उत्कृष्ट करने की बात कही। वाशिंगटन विश्वविद्यालय अमेरिका के वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. जस्टिन पाल व डरबन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय दक्षिण अफ्रीका से प्रो. रविंदर रेना ने आभाषी प्लेटफार्म पर विचार व्यक्त किए। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. जीबीएस जौहरी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता लाने के लिए विशिष्ट शैक्षणिक शिक्षा प्रदान करने की बात कहा।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने विशेष रूप से शिक्षा, बैंकिंग, आतिथ्य और राजनैतिक प्रशासन से कुशल भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक नीति 2020 के उचित कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया।
वहीं समापन सत्र में मुख्य अतिथि बीएचयू प्रबंध संस्थान निदेशक प्रो. आशीष वाजपेयी ने संबोधित किया। आयोजक सचिव डा. विनीता सिंह ने स्वागत और डा. सूर्य प्रकाश अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रो. एसएस भदौरिया, डा. क्षितिज महर्षि, डा. अमित मंगलानी, डा. पवस कुमार, डा. आनंद सिंह, डा. शांतनु सौरभ, डा. शैलेश कुमार सिंह, डा. मीनाक्षी सिंह समेत बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, राजस्थान, झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के 300 से अधिक शोधार्थी व छात्र-छात्राएं शामिल थे।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा