उत्तराखंड के बुनियादी ढांचे को नई दशा दिशा दी जाए : राज्य मंत्री अजय टम्टा

The state will benefit from knowledge of new technology: TamtaThe state will benefit from knowledge of new technology: Tamta

स्टील सेतु के डिजायन, निर्माण एवं रखरखाव पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

देहरादून, 19 अक्टूबर(हि.स.)। हरिद्वार-बाईपास रोड स्थित होटल शेफर्ट सरोवर प्रीमियर में शनिवार को आयोजित स्टील सेतु के डिजायन, निर्माण एवं रखरखाव विषयक कार्यशाला का आयाेजन हुआ। यह कार्यशाला इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रिज एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के भारतीय राष्ट्रीय समूह (आईएनजी-आईएबीएसई), सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली और लोक निर्माण विभाग, उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। कार्यशाला में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने उत्तराखंड के बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया।

राज्य मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि मेरा प्रयास है कि उत्तराखंड के बुनियादी ढांचे को नई दशा दिशा दी जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के साथ-साथ केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में मेरा भी प्रयास मंत्री के रूप में निरंतर बना रहता है। हम चाहते हैं कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड को अधिकाधिक ऊंचाइयां दी जाए।

उन्हाेंने कहा कि उत्तराखंड के विकास में बुनियादी ढांचे का विकास करना एक बड़ी चुनौती है। प्रदेश में तेजी से बढ़ते आवागमन और बेहतर संपर्क मार्ग हेतु स्टील सेतु का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है। पारंपरिक पुलों की तुलना में यह पुल कम समय में तैयार हो जाते हैं और आपातकालीन स्थितियों में बहुत लाभकारी हैं।

उन्हाेंने कहा कि हमारे मंत्रालय द्वारा पूरे देश में जितने भी स्टील पुल और बिल्डिंग स्ट्रक्चर बनाये जाते हैं उसमें नई तकनीकी की जानकारी देने के लिए हर साल देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। इस बार इसके लिए हमारे राज्य उत्तराखंड को चुना गया जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है। इस कार्यशाला के माध्यम से हमारे इंजीनियरों को विश्व के अन्य देशों में अपनायी जा रही तकनीक की जानकारी प्राप्त होने के साथ-साथ उसे सीखने का भी मौका मिलेगा।

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य की व्यवस्था और सुदृढ़ करना हम सबकी जिम्मेदारी है। बेहतर सम्पर्क मार्ग हेतु स्टील सेतु का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सतपाल महाराज ने कहा कि स्टील सेतु हल्के होने के साथ-साथ मजबूत और जलवायु के उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम होते हैं। जरूरत पड़ने पर स्टील सेतु के हिस्सों को बदला भी जा सकता है और इसके रखरखाव पर खर्च भी काम आता है।

सतपाल महाराज ने कहा कि बरसात और भूस्खलन के दौरान कई बार पुराने पुलिया रास्ते क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इनकी जगह अब इस प्रकार के टिकाऊ सेतु बनाए जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में राज्य के 13 जनपदों में राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग, मुख्य जिला मार्गों और ग्रामीण मार्गों की 9192 सड़कों का कुल 46742 किमी लंबाई का विशाल नेटवर्क है। इन मार्गों पर कुल 2238 मोटर सेतु, 31 फुटओवर सेतु, 04 फ्लाई ओवर, 24 रोड़ ओवर ब्रिज और 1021 पैदल सेतुओं का निर्माण किया गया है, जिनका रखरखाव लोक निर्माण विभाग के अधीन है। पुराने स्टील सेतु के साथ-साथ दीर्घ अवधि तक सेतु सुरक्षित एवं उपयोगी बने रहे इसके लिए कार्यशाला में सेतुओं के रखरखाव की नवीन तकनीकी पर चर्चा होगी ऐसी मुझे उम्मीद है।

महाराज ने स्टील सेतु के डिजायन, निर्माण एवं रख रखाव कार्यशाला के लिए देहरादून का चयन करने परआईएनजी और आईएबीएसई का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित रूप से इस कार्यशाला में हुई चर्चा की परिणाम स्वरूप सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

कार्यशाला में महानिदेशक (सड़क विकास) एवं विशेष सचिव, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार तथा आईएनजी-आईएबीएसई के अध्यक्ष धर्मेंद्र सारंगी, आईएनजी-आईएबीएसई के सचिव बी.के. सिन्हा, साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन सुब्बाराव, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता एवं विभाग अध्यक्ष दीपक कुमार यादव मोर्थ के एडीजी सुदीप चौधरी राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियंता दयानंद आदि उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / राम प्रताप मिश्र

   

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