मेला आरक्षित भूमि को बेचे जाने की चर्चा,जिलाधिकारी ने जानकारी जुटाने के दिए निर्देश

हरिद्वार, 16 अप्रैल (हि.स.)। उत्तरी हरिद्वार स्थित सैंकड़ों बीघा मेला आरक्षित भूमि को बेचने की चर्चाओं से धर्मनगरी का माहौल गर्म है। हरिद्वार में मेला भूमि लगातार सिकुड़ती जा रही है। इसलिए इस चर्चा के बाद हरिद्वार प्रशासन भी संदर्भित भूमि को लेकर सतर्क हो गया है।

उत्तरी हरिद्वार में दूधाधारी तिराहे के निकट सैंकड़ों बीघा कुंभ आरक्षित खाली भूमि है। जिसका उपयोग वर्षों से मेला पर्वों पर यात्री पड़ाव के रूप में होता आ रहा है। अभिलेखों में यह भूमि हरिद्वार के पूर्व पालिकाध्यक्ष स्व. पारस कुमार जैन के नाम है, जिसे पंजाब के किसी अखाड़े से खरीदना बताया गया है और जिसका प्रबंधन फिलहाल उनके पुत्र तोष जैन देखते हैं। फिलहाल शहर में चर्चा है कि अरबों रुपए की इस भूमि का सौदा कर दिया गया है। जबकि मेला आरक्षित भूमि पर कई तरह के प्रतिबंध होते हैं और हरिद्वार, ऋषिकेश में ऐसी कई जमीनें सालों से ज्यों की त्यों चली आ रही हैं। मेले के लिए उपयोगी इस भूमि की खरीद-फरोख्त की चर्चाओं से कुंभनगरी का माहौल गर्म है। भूमि पर चारदीवारी कर दिए जाने की बात भी सामने आई है। हालांकि इन चर्चाओं पर तोष जैन का कहना है कि भूमि का स्वामित्व क्योंकि उनका है, इसलिए उनके पास जमीन के सभी अधिकार हैं। भूमि की हदबंदी पर भी किसी तरह की रोक नहीं है।

उधर, प्रशासन भी मामले को लेकर सतर्क हो गया है। हरिद्वार जिलाधिकारी और पदेन कुंभ मेलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने एसडीएम हरिद्वार को मामले में सभी जानकारियां जुटाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि कुंभ मेला शासन की प्राथमिकताओं में है यदि आवश्यकता हुई तो वह स्वयं भी मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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