बौद्धिक संपदा अधिकार शोध, नवाचार और व्यावसायिक विकास का मजबूत माध्यम: प्रो. तिवारी
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- Nov 16, 2025
नैनीताल, 16 नवंबर (हि.स.)। राजकीय महाविद्यालय कांडा बागेश्वर में यूकॉस्ट के सहयोग से रविवार को बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष और अतिथि व्याख्याता निदेशालय के निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने आईपीआर यानी बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आविष्कार मस्तिष्क की उपज है और मस्तिष्क से उत्पन्न रचनाएँ ही बौद्धिक संपदा कहलाती हैं, जिनकी सुरक्षा किसी देश की आर्थिक प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बौद्धिक संपदा और बौद्धिक संपदा अधिकार का अंतर स्पष्ट करते हुए ट्रेडमार्क, डिजाइन, कॉपीराइट, पेटेंट, ज्योग्राफिकल इंडिकेशन और ट्रेड सीक्रेट के उदाहरणों सहित उनकी उपयोगिता बताई। प्रो. तिवारी ने पेटेंट योग्य वस्तुएँ, पेटेंट प्रक्रिया और संबंधित कार्यालयों की जानकारी भी दी। अपने संबोधन में उन्होंने उत्तराखंड के 18 उत्पादों-जैसे चौलाई, बेरीनाग की चाय, झंगोरा, बुरांस शरबत, मंडुआ, रामनगर की लीची, लाल चावल, रामगढ़ के आड़ू, अल्मोड़ा की लाखोरी मिर्च, माल्टा, तेजपात, ऐपण कला, सफेदराजमा, रिंगाल के क्राफ्ट, थुलमा, भोटिया डैन, च्यूड़ा के तेल और तांबे के उत्पादों को एक ही दिन में प्राप्त हुए जीआई टैग को राज्य की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि आईपीआर छात्रों, शोधकर्ताओं व उद्यमियों के लिए शोध, नवाचार और व्यावसायिक विकास का मजबूत माध्यम है। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ.जयचंद कुमार गौतम, समन्वयक डॉ.उमा पांडे पड़लिया, डॉ.विजय कुमार, डॉ.कैलाश टम्टा, डॉ.संतोष कुमार, डॉ.निर्मल कौर, डॉ.सीता, डॉ.नीतू खुल्बे सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी



