भारत की सभ्यता और संस्कृति मनमोहक है इसकी तुलना कोई नहीं कर सकता : डॉ बलराम सिंह

अविराम काॅलेज में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आयाेजन

लोहरदगा, 11 जनवरी (हि.स.)। अविराम कालेज आफ एजुकेशन टिको कुड़ू में शनिवार को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया गया। वैश्विक संस्कृत मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतराष्ट्रीय सेमिनार का थीम एन ई पी 2020 के माध्यम से भारतीय परंपरा, संस्कृति और ज्ञान प्राणाली को पुनर्जीवित करने पर आधारित है। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के मुख्य अतिथि यू मास डार माउथ और इन्स्टीट्यूट आफ एडवांस साइंस यूएसए अमेरिका के प्रोफेसर बलराम सिंह तथा विशिष्ट अतिथियों मे शिक्षाविद, प्रोफेसर तथा पद्मश्री से सम्मानित अतिथि शामिल थें। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करते हुए किया।

अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि यूएसए अमेरिका से पहुंचे डॉ बलराम सिंह ने कहा कि अमेरिका में शिक्षा को जन्म देने वाले थामस जेंफशान का अमेरिका की शिक्षा में सुधार को लेकर उतना ही महत्व है जितना भारत को अंग्रेजी हुकूमत से निजात दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भारत में नाम है। भारत की सभ्यता और संस्कृति मनमोहक है इसकी तुलना कोई नहीं कर सकता है। 12 हजार मील से चलकर भारत पहुंचे तथा भारत के छोटे से गांव टिको में संचालित अविराम कालेज ऑफ एजुकेशन टिको कुड़ू में जो सम्मान मिला इसकी परिकल्पना नही कर सकते हैं। योगाभ्यास आज विश्व की मांग हो गई है। अमेरिका के 86 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य रहने के लिए योगाभ्यास करते हैं। अविराम में आदिवासी सभ्यता तथा संस्कृतिक की झलक देख मन मंत्रमुग्ध हो गया है। आदिवासी कल्चरल से आत्मा को शांति मिलती है. नारी का सम्मान सबसे उपर है। विज्ञान प्राकृतिक से अलग हैं दोनों की तुलना नहीं हो सकतीं हैं। अयोध्या की संस्कृति सीता माता पर केन्द्रित है ठीक इसी तरह जीवन में मां का स्थान सर्वोपरि होता है। मां से बेहतर कोई शिक्षक तथा गुरू नहीं हो सकता है। नारी कल भी पूजनीय थी आज भी हैं तथा सदेव पूजनीय रहेगी। परीक्षा का मतलब चारों तरफ से देखने वाला तथा दक्षता की जानकारी रखने वाला होता है।

मौके पर कालेज के सचिव इंद्रजीत कुमार भारती ने कहा कि हजारों आंदोलनकारियों तथा नौजवानों ने जवानी काल मे अपनी कुर्बानी दी तब जाकर देश आजाद हुआ तथा आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं। टिको की धरती पवित्र तथा सैकड़ों आंदोलन कारियों की खून से सींची हुईं धरती है। इस पवित्र माटी पर कालेज का संचालन हो रहा है। अविराम की पहचान अनुशासन तथा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से होती है। अनुशासन ही इंसान को महान बनाता है इसे बरकरार रखने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शामिल शिक्षाविद तथा गणमान्य पद्मश्री मधु मंसुरी, यूएसए अमेरिका से डॉ बलराम सिंह, माता सुंदरी कालेज फार वुमेन दिल्ली युनिवर्सिटी की प्रोफेसर हरप्रीत कौर,चाइना के क्वांगटोंग विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डाॅ विवेक मणि त्रिपाठी, वैश्विक संस्कृत मंच के सचिव डॉ राजेश कुमार मिश्रा,माता सुंदरी विश्वविद्यालय दिल्ली में सहायक प्रोफेसर डॉ कल्पना शर्मा, कालेज के सचिव इंद्रजीत कुमार भारती, कालेज की प्राचार्य डॉ प्रतिमा त्रिपाठी सहित अन्य शामिल थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोपी कृष्ण कुँवर

   

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