जल संरक्षण करने वालों के पुण्य का वर्णन आसान नहीं : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

—91वें जल सभा में ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य ने जल श्रोतों के संरक्षण पर दिया जोर

वाराणसी,13 नवम्बर (हि.स.)। ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जीवनदायी जल के संरक्षण के लिए हर व्यक्ति को सचेत होना चाहिए। जल के संरक्षण के लिए प्रयत्नशील लोगों के पुण्य का वर्णन आसान नहीं है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बुधवार शाम केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में 91वें जल सभा को सम्बोधित कर रहे थे।

आई.सी.ए. हेल्थ एण्ड इनवीरोंमेंटल सोसाइटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शंकराचार्य ने अपने आर्शीवचन में कहा कि साधुजनों का ये स्वभाव है की वो लोकताप से तप जाते हैं। अपने दुख से वो दुखी नही होते लेकिन दूसरे के दुख से द्रवित हो जाते है। सभा में पंचायती निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर महाराज ने कहा कि जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है। हम हानिकारक खाद्य पदार्थों का भक्षण करने लगे हैं। जल भी प्रदूषित हो गया है। इसलिए हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है।

संस्था के सचिव अभय शंकर तिवारी ने अतिथियों,शंकराचार्य,संतों और बटुकों का स्वागत कर कहा कि देश के अन्य राज्यों में भी जल सभाओ का आयोजन किया जाएगा। जल सभा केवल जागरूकता अभियान ही नहीं है। अपितु यह एक तरह की जल साधना है और यह साधना पूर्ण होने के बाद अवश्य ही अपना प्रभाव दिखायेगा। कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार शुक्ला ने किया।

सभा में साध्वी पूर्णाम्बा , ब्रम्हचारी परमात्मानंद,सजंय पाण्डेय,डॉ परमेश्वर दत्त शुक्ल,प्रभु नारायण पाण्डेय,शैलेन्द्र योगी,कीर्ति हजारी शुक्ला,अनिल शुक्ला आदि शमिल रहे।

---------------

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

सम्बंधित खबर