लखनऊ : भारतीय राजनीति में अटल जैसा दूसरा नेता होना मुश्किल 

लखनऊ, 24 दिसम्बर(हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भारत रत्न भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के किस्से कहानियों की भरमार है। लखनऊ में भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी को जानने वाले बताते हैं कि भारतीय राजनीति में अटल बिहारी जैसा दूसरा नेता होना मुश्किल है।

राष्ट्रधर्म के प्रभारी निदेशक एवं चिंतक सर्वेश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि लखनऊ में पंडित अटल बिहारी बाजपेयी का नाम जानने वाली एक घर में तीन पीढ़ी मिल जायेगी। कुछ लोगों ने उन्हें अपने जवानी में देखा था तो किसी ने बचपन में देखा, उनके वक्त राजनीतिक क्षेत्र या गैर राजनीतिक क्षेत्र वाले लोग भी अभी बचे हुए है।

उन्होंने कहा कि लखनऊ में सन् 1991 में अटल जी ने अपनी राजनीति की दूसरी पाली खेली थी। इससे पहले अटल जी जनसंघ के टिकट पर सन् 1962 के आम चुनाव लड़े थे और कांग्रेस के प्रत्याशी वी.के. धवन से कम वोटो के अंतर से हार गये थे। अटल जी ने 91 वाला आम चुनाव जीता था और इसके बाद लखनऊ के ही बनकर रह गये। उनके निकट या दूर रहने वाले हर व्यक्ति की जानकारी उन्हें रहती थी। वह लखनऊ जब भी आते थे तो अपने मित्रों से मिलना, कार्यकर्ताओं के सुख दुख के शामिल होना करते रहे। उनके जैसा दूसरा नेता लखनऊ को मिलना मुश्किल है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुराने कार्यकर्ता चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री ने भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि अटल बिहारी ने संघ के प्रमुख लोगों से चर्चा के बाद वर्ष 2009 में राजनीतिक क्षेत्र छोड़ी। तभी लखनऊ में उनके उत्तराधिकारी के रूप में कुछ नाम सामने आये, जिसमें लालजी टंडन एवं राजनाथ सिंह के नाम सबसे ऊपर थे। ये दोनों ही बड़े नेता थे और दोनों ने लखनऊ में अटल जी के नाम पर जीत हासिल की।

उन्होंने बताया कि अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने जानने वालों को कभी निराश नहीं किया। वह जब आते थे, अपने मित्रों एवं कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर देश के विकास एवं राजनीतिक उठापटक की चर्चा करते थे। चौक में राजा की ठंडई, हजरतगंज में बाजपेयी की पूड़ी या कहीं कुछ स्पेशल खाने की चींजों की जानकारी होने पर उसे मंगवाते थे।

सिंधी समाज के संरक्षक एवं भाजपा नेता नानक चंद्र लखमानी ने बताया कि प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी लखनऊ आये और तभी एस.सी.राय मेयर बने थे। अटल जी ने मेरी ओर इशारा कर लालजी टण्डन बाबू जी से कहा कि नानक चंद्र को पुराना नगर निगम का अनुभव रहा है। नानक तीन बार पार्षद रह चुका है। इसे नामित कर मेयर का सहयोगी बना दो। इसके बाद मुझे नामित किया गया।

उन्होंने बताया कि सिंधी समाज में मेरे नामित पार्षद बनने पर खुशी की लहर दौड़ गयी थी। अटल जी जब भी लखनऊ आते थे तो मेरा उनके पास जाना आना होता था। लखनऊ में अटल जी का कार्यक्रम सभी धर्म के लोग करते थे और उसमें भी मेरा रहना होता था। आम चुनाव में अटल बिहारी बाजपेयी को शिया मुसलमान भी मतदान करता था और इसकी भाजपा में जोर शोर से चर्चा रहती थी।

अटल जी के लखनऊ में सहयोगी साथियों की दूसरी पीढ़ी के संजय एवं रामप्रकाश अपने घरों में टंगी हुई अटल जी की तमाम फोटो दिखाते है। अटल जी के बारे में बताते हुए उनका कहना है कि लखनऊ में अटल बिहारी बाजपेयी जब चुनाव लड़ने आये थे तो वह राम मंदिर आंदोलन का दौर था। अटल जी भी चाहते ​थे कि राम मंदिर बने। उस दौरान उनके पिता या परिवार के लोग आंदोलन में भागीदार रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र

   

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