दुष्कर्म केस में जैन मुनि शांतिसागर को 10 साल की सजा

जैन मुनि ने आठ साल पहले युवती से किया था दुराचार

सूरत, 5 अप्रैल (हि.स.)। करीब आठ साल पहले सूरत के टीमलियावाडा जैन उपाश्रय में वडोदरा की 19 वर्षीया युवती के साथ धार्मिक विधि के नाम पर बलात्कार करने वाले जैन मुनि शांति सागर को सेशन कोर्ट ने शनिवार को 10 साल की सजा सुनाई है। एक दिन पूर्व शुक्रवार को सेशन कोर्ट ने मुनि को दोषी ठहराया था। शांतिसागर को 25 हजार रुपये का जुर्माना भी जमा करना होगा।

सरकारी वकील नयन सुखडवाडा ने सरकार की ओर से दलील पेश की और अधिकतम सजा यानी की आजीवन कैद की मांग की थी। सुखडवाडा ने गुरु की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु का काम शिष्य के गलत विचारों का नाश करना होता है। परंतु गुरु ही जो दुष्कर्म करे तो इसकी गंभीरता कई गुना बढ़ जाती है। इससे पूरे समाज में गलत संदेश जाता है। सरकारी वकील नयन सुखडवाड ने शनिवार को मीडिया को बताया कि इस कृत्य से पीड़िता को मानसिक और शारीरिक क्षति पहुंची। आघात में पिता की भी मौत हो गई। पीड़िता को मुआवजा देने के लिए सरकारी पक्ष ने मांग की है। कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर सजा के संबंध में आगे अपील के बारे में निर्णय किया जाएगा।

सरकार की ओर से एपीपी राजेश डोबरिया और वादी की ओर से वकील मुख्त्यार शेख ने बताया कि आरोपी को दोषी साबित करने में पीड़िता का बयान, मेडिकल साक्ष्य और 32 साक्षियों का बयान महत्व का साबित हुआ। केस में 60 सबूत पेश किए गए थे। वहीं पुलिस ने 250 पन्ने का चार्जशीट पेश किया था। आरोपी शांतिसागर ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक प्रयास किया, लेकिन अभियोजन पक्ष की कड़ी पैरवी के चलते आठ साल के दौरान उसे एक बार भी जमानत नहीं मिली। सुनवाई के दौरान पीड़िता को वेष बदल कर आना पड़ता था। दूसरी ओर बचाव पक्ष ने कम सजा के साथ विभिन्न मुद्दों को कोर्ट में पेश किया था। कहा कि शांतिसागर अक्टूबर, 2017 से जेल में बंद है। करीब साढ़े सात साल से जेल में बंद होने के कारण उसे ढाई साल जेल में काटना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

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