जावेद राणा ने जनजातीय भाषा केंद्र खोलने की वकालत की
- Rahul Sharma
- Feb 12, 2025
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जम्मू। स्टेट समाचार
जल शक्ति, वन पारिस्थितिकी और पर्यावरण तथा जनजातीय मामलों के मंत्री जावेद अहमद राणा ने एक विचारोत्तेजक सेमिनार के दौरान जम्मू विष्वविद्यालय में जनजातीय भाषा केंद्र खोलने की वकालत की, जिसमें गोजरी और उर्दू भाषाओं के बीच दिलचस्प पारस्परिक संबंधों पर प्रकाश डाला गया, जो शब्दों, वाक्यांशों और सांस्कृतिक बारीकियों के सुंदर आदान-प्रदान पर मूल्यवान सुझाव प्रदान करता है। केंद्र जम्मू-कश्मीर में जनजातीय भाषाओं के अनुसंधान, दस्तावेज़ीकरण और प्रचार के लिए एक मंच प्रदान करेगा। राणा ने यह बात आज उस सेमिनार में कही जिसका उन्होंने उद्घाटन किया, जिसका आयोजन जेकेएएसीएल और जेयू के उर्दू विभाग द्वारा किया गया था। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता जम्मू विष्वविद्यालय के उपकुलपति प्रोफेसर उमेश राय ने की। प्रोफेसर शोहब इनायत मलिक, एचओडी उर्दू, जम्मू विष्वविद्यालय और डॉ. जावेद राही डिवीजनल हेड जेकेएएसीएल और प्रसिद्ध शोधकर्ता भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
अपने संबोधन में जावेद अहमद राणा ने महत्वपूर्ण विषय पर सेमिनार आयोजित करने के लिए जम्मू विष्वविद्यालय के उर्दू विभाग की सराहना की। उन्होंने गोजरी को जम्मू-कश्मीर की एक मुख्य भाषा बताया जो आबादी के एक बड़े हिस्से द्वारा बोली जाती है। मुख्य भाषा के रूप में उर्दू ने न केवल गोजरी बल्कि जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं को भी प्रभावित किया है। गोजरी के इतिहास का पता लगाते हुए जावेद अहमद राणा ने महाभारत और रामायण से कुछ उदाहरण उद्धृत किए जहां गोजरी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। राणा ने गुर्जरों की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा करते हुए गुर्जर संस्कृति की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की चर्चा की और बताया कि उर्दू पर भी गुर्जर संस्कृति, भाषा और सभ्यता का प्रभाव पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि यह भाषा जम्मू-कश्मीर के बड़ी संख्या में लोगों द्वारा बोली और लिखी जाती है। इसलिए, जम्मू विश्वविद्यालय में गुज्जर और पहाड़ी सांस्कृतिक केंद्रों को क्रियाशील बनाया जाना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने सरकार के जनजातीय विभाग से पूर्ण समर्थन की पेशकश की।
उन्होंने अनुसंधान समिति की स्थापना की भी वकालत की जो दुनिया भर में गुर्जरों के जीवन, संस्कृति और भाषा पर शोध कर सके। प्रोफेसर उमेश राय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में इस बात पर जोर दिया कि भाषा प्रौद्योगिकी की नवीनतम तकनीकों से संबंधित होनी चाहिए, उर्दू और गोजरी समृद्ध भाषा है, इसलिए उन्हें रोजगार से संबंधित होना चाहिए। दोनों भाषाओं के विचारकों को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे इन दोनों भाषाओं में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी नौकरियाँ मिल सकें। प्रोफेसर उमेश राय ने घोषणा की कि गोजरी और डोगरी के पद के लिए साक्षात्कार जो पहले ही विज्ञापित किया जा चुका है, बहुत जल्द आयोजित किया जाएगा। जम्मू विष्वविद्यालय द्वारा पहाड़ी और गोजरी केंद्र को जल्द ही क्रियाशील किया जाएगा।
प्रोफेसर उमेश राय ने जम्मू विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही डीवाईडी डिग्री पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। इससे पहले अपने स्वागत भाषण में उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शोहब इनायत मलिक ने उर्दू और गोजरी भाषा के विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दोनों भाषाओं का घनिष्ठ संबंध है, चाहे वह सांस्कृतिक हो या सामाजिक, उर्दू ने बड़ी संख्या में सम्मानजनक सामग्री वाले अच्छे साहित्य का निर्माण किया है, जबकि गोजरी लेखक और कवि भी गद्य और कविता लिखकर भाषा में योगदान दे रहे हैं। अपने मुख्य भाषण में डॉ. जावेद राही ने गोजरी भाषा के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कुछ ऐसे शब्दों का भी आलोचनात्मक सर्वेक्षण किया जो उर्दू और गोजरी में आम हैं।