जादवपुर विश्वविद्यालय विवाद : पुलिस ज्यादती के आरोपों पर कलकत्ता हाईकोर्ट में नई याचिका
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- Mar 10, 2025

कोलकाता, 10 मार्च (हि. स.)। जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में एक मार्च को हुए हंगामे के मामले में पुलिस द्वारा छात्रों पर कथित ज्यादती के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच में सोमवार को नई याचिका दायर की गई।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के वाहन ने विश्वविद्यालय परिसर में दो छात्रों को कथित रूप से जानबूझकर टक्कर मारी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
यह याचिका न्यायमूर्ति तिर्थंकर घोष की उसी एकल पीठ में दायर की गई है, जिसने पिछले सप्ताह जादवपुर विश्वविद्यालय विवाद से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान कोलकाता पुलिस की पक्षपातपूर्ण और एकतरफा जांच पर कड़ी नाराजगी जताई थी।
अदालत ने कोलकाता पुलिस को निर्देश दिया था कि वे सिर्फ तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध पश्चिम बंगाल कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूबीसीयूपीए) की शिकायतों पर ही कार्रवाई न करें, बल्कि विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर भी एफआईआर दर्ज करें।
यह नई याचिका माकपा की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ता उद्दीपन कुंडू द्वारा दायर की गई है। इस पर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है।
याचिकाकर्ता कुंडू ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कोलकाता पुलिस ने विश्वविद्यालय के छात्रों को बार-बार और अनावश्यक रूप से पूछताछ के लिए बुलाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि जब छात्रों ने सात मार्च को हुई पूछताछ के दौरान अपने मोबाइल फोन पुलिस को देने से इनकार कर दिया, तो उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया।
एक मार्च को विश्वविद्यालय परिसर में तब हंगामा मच गया था, जब छात्रों ने शिक्षा मंत्री के वाहन को कथित रूप से रोक दिया और उसके बाद झड़प हो गई। छात्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव की तत्काल घोषणा की मांग कर रहे थे।
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि जब मंत्री विरोध के कारण कैंपस छोड़ने लगे, तो उनके वाहन ने जानबूझकर दो छात्रों को टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
इस दौरान मंत्री को भी हल्की चोटें आईं और उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें बाद में छुट्टी दे दी गई।
इससे जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति घोष ने कोलकाता पुलिस की विशेष शाखा की खुफिया विफलता पर भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि जब शिक्षा मंत्री विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद थे, तब पुलिस को छात्र आंदोलन की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी। उन्होंने बांग्लादेश में हाल ही में हुए छात्र आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि ऐसी खुफिया विफलताएं जारी रहीं, तो पश्चिम बंगाल में भी भविष्य में स्थिति गंभीर हो सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर