जादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व अंतरिम कुलपति भास्कर गुप्ता का दावा - दीक्षांत समारोह आयोजित करने पर हटाया गया, अशांति सिर्फ बहाना
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- Apr 02, 2025

कोलकाता, 02 अप्रैल (हि. स.)। जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के पूर्व अंतरिम कुलपति प्रोफेसर भास्कर गुप्ता ने अपनी बर्खास्तगी को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बर्खास्तगी का कोई नैतिक या कानूनी आधार नहीं था।
प्रोफेसर गुप्ता को हाल ही में उनके पद से हटाया गया था। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2023 में आयोजित विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कोई प्रक्रिया संबंधी चूक नहीं हुई थी, जबकि राजभवन ने इसे नियमों का उल्लंघन करार दिया था। गुप्ता ने सोमवार को जेयू के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्ति ली, लेकिन उन्हें उनके निर्धारित सेवानिवृत्ति की तारीख से महज चार दिन पहले कुलपति पद से हटा दिया गया।
गुप्ता को हटाने के दो दिन बाद, 29 मार्च को, राज्यपाल ने उन्हें आदेश दिया कि वे दीक्षांत समारोह पर हुए खर्च की भरपाई अपनी जेब से करें। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुप्ता ने कहा कि वह इस आदेश पर तभी विचार करेंगे जब यह शिक्षा विभाग के माध्यम से उचित तरीके से जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह सभी नियमों के तहत आयोजित किया गया था। इसे विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए संपन्न किया गया था। इसका पूरा बजट राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित था और सभी खर्च सरकारी स्वीकृति के तहत किए गए थे। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया और मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है।
गुप्ता के अनुसार, दीक्षांत समारोह को लेकर विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद और वित्त समिति में सर्वसम्मति से निर्णय लिए गए थे। उन्होंने कहा कि उन बैठकों में कुलाधिपति (राज्यपाल) के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे और उन्होंने उस समय कोई आपत्ति नहीं जताई।
हालांकि, राजभवन का कहना है कि दीक्षांत समारोह बिना आधिकारिक स्वीकृति के आयोजित किया गया था और यह नियमों के उल्लंघन के तहत आता है।
गुप्ता ने बताया कि उन्हें हटाने के पीछे कोई औपचारिक कारण नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति के कार्यालय से जो कारण बताओ नोटिस मुझे मिला था, वह पूरी तरह से बेबुनियाद और अवैध था।
गुप्ता ने कहा कि उनकी बर्खास्तगी के बाद उन्हें शिक्षकों, छात्रों और सहकर्मियों से भारी समर्थन मिला है।
गुप्ता ने कहा कि हर दिन मुझे समर्थन में संदेश मिलते हैं। छात्र तो यहां तक कह रहे हैं कि वे चंदा इकट्ठा कर राजभवन द्वारा मांगे गए खर्च की भरपाई करेंगे, लेकिन मैंने उनसे ऐसा न करने की अपील की है।
गुप्ता की प्रशासनिक भूमिका पर फिर से सवाल उठाए गए जब एक मार्च को विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु की गाड़ी के पास छात्रों ने प्रदर्शन किया और एक छात्र कथित रूप से उनकी कार से घायल हो गया। राजभवन के अधिकारियों का कहना है कि गुप्ता हिंसा रोकने में असफल रहे और उन्होंने कुलाधिपति के निर्देशों का पालन नहीं किया। उन्हें वीसी की आपात बैठक में बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने न तो बैठक में भाग लिया और न ही अनुपस्थिति का उचित कारण बताया।
गुप्ता ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें हटाने का असली कारण विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह आयोजित करना था, जिसे कुलाधिपति ने रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने सवाल उठाया, अगर मैं एक मार्च को परिसर में शांति स्थापित करने में असफल रहा, तो यह मेरे एक साल के कार्यकाल में पहली बार हुआ होगा। फिर नवंबर 2023 से कुलपति की नियुक्ति की फाइल राजभवन में लंबित क्यों पड़ी है? क्या वे किसी बहाने की तलाश में थे?
गुप्ता ने कहा कि दीक्षांत समारोह छात्रों के शैक्षणिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और विश्वविद्यालय को इस दौरान विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित करने का अवसर मिलता है। उन्होंने अंत में कहा, केवल राज्यपाल ही बता सकते हैं कि उन्हें इस समारोह से इतनी आपत्ति क्यों थी।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर