जेल में बंद, फिर भी ज्योतिप्रिय मल्लिक हैं खाद्य निगम के अध्यक्ष, उठ रहे हैं गंभीर सवाल
- Admin Admin
- Nov 21, 2024
कोलकाता, 21 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के विधायक ज्योतिप्रिय मल्लिक (बालू) वर्तमान में जेल में बंद हैं। बावजूद इसके, वे अभी भी आवश्यक खाद्य निगम (एसेंशियल कमोडिटीज सप्लाई कॉर्पोरेशन) के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। इस तथ्य के सामने आने के बाद खाद्य विभाग के अंदर विरोध और असमंजस का माहौल पैदा हो गया है।
पिछले साल 27 अक्टूबर को राशन घोटाले के मामले में ईडी ने ज्योतिप्रिय मल्लिक को उनके सॉल्ट लेक स्थित घर से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्रीमंडल में बनाए रखा था। हालांकि, फरवरी 2024 में मल्लिक परिवार के अनुरोध पर उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। इसके बावजूद, वे खाद्य विभाग के अधीन आवश्यक खाद्य निगम के अध्यक्ष पद पर कैसे बने रहे, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आवश्यक खाद्य निगम राज्य में खाद्यान्न संग्रह, भंडारण, वितरण और आपूर्ति जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार है। निगम की वेबसाइट पर अभी भी ज्योतिप्रिय मल्लिक का नाम अध्यक्ष के रूप में दर्ज है। विभाग के कई अधिकारी इस बात पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से बच रहे हैं। उनका मानना है कि अध्यक्ष पद पर मल्लिक को बनाए रखना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का निर्णय था, और इस पर सवाल उठाना उनके फैसले का विरोध करना होगा।
2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योतिप्रिय मल्लिक को खाद्य मंत्री बनाया गया था। उस समय उन्होंने निगम के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी संभाली थी। हालांकि, 2021 में उन्हें खाद्य विभाग से हटाकर वन विभाग का मंत्री बना दिया गया। इसके बाद, नवंबर 2021 में मुख्यमंत्री ने उन्हें आवश्यक खाद्य निगम के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर दिया।
विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए थे। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मल्लिक को अध्यक्ष बनाए रखने के निर्णय की आलोचना की थी। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने तर्क दिया कि मल्लिक की खाद्य विभाग में लंबी अनुभवशीलता के कारण उन्हें इस पद पर बनाए रखा गया था।
ज्योतिप्रिय मल्लिक को हाल ही में सांस से संबंधित समस्या के कारण अस्पताल ले जाया गया था। इलाज के बाद उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया है। इस बीच, उनके परिवार ने उनकी जमानत के लिए कानूनी प्रयास तेज कर दिए हैं।
मामला इस समय संवेदनशील बना हुआ है और विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ सरकार की भी आलोचना हो रही है कि आखिर क्यों एक जेल में बंद व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण पद पर बनाए रखा गया।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर