कालीघाट के काकू के खाते में नौकरी घोटाले की मोटी रकम, सीबीआई चार्जशीट में भाजपा नेता पर गंभीर आरोप

कोलकाता, 05 मार्च (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में भाजपा नेता अरुण हाजरा का नाम दर्ज किया है। आरोप है कि अरुण हाजरा ने खुद एक लिखित समझौता तैयार किया था, जिसमें नौकरी दिलाने के एवज में करोड़ों रुपये के लेन-देन का पूरा हिसाब दर्ज है। यही नहीं, सीबीआई के मुताबिक, इस रकम का बड़ा हिस्सा कालीघाट के काकू के नाम से चर्चित सुजय कृष्ण भद्र को सौंपा गया था।

सीबीआई के हाथ लगे दस्तावेजों के अनुसार, साल 2022 में अरुण हाजरा ने खुद दस रुपये के स्टांप पेपर पर यह समझौता लिखा था। इस दस्तावेज में साफ तौर पर उल्लेख है कि किस तारीख को, किस काम के लिए, कितनी रकम भद्र को दी गई। सबसे अहम बात यह है कि इस समझौते पर खुद अरुण हाजरा के हस्ताक्षर मौजूद हैं। इसके अलावा, तीन अन्य लोगों के भी दस्तखत हैं, जिनसे सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ की है। बताया गया है कि उन तीनों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि यह दस्तावेज अरुण हाजरा ने ही तैयार किया था।

सीबीआई के मुताबिक, अरुण हाजरा ने शिक्षक भर्ती घोटाले के तहत अलग-अलग पदों के लिए भारी रकम वसूली थी। रिपोर्ट के अनुसार —

प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लिए 11 करोड़ 70 लाख रुपये

ग्रुप डी के लिए 15 करोड़ रुपये

ग्रुप सी के लिए नौ करोड़ रुपये

रेलवे सहित अन्य विभागों की भर्तियों के लिए तीन करोड़ रुपये

इस तरह कुल मिलाकर करीब 78 करोड़ रुपये भद्र को दिए गए थे। इसके बाद ये सारे रुपये मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की कंपनी लिप्स एंड बाउंड्स में ट्रांसफर कर दी गई थी।

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बार-बार बदलते दल, अब भाजपा में

अरुण हाजरा उत्तर कोलकाता के चर्चित नेता हैं। एक समय वह कांग्रेस से जुड़े हुए थे, बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। बीते लोकसभा चुनाव के पहले जब तापस राय ने तृणमूल छोड़ भाजपा का दामन थामा था, उसी दौरान अरुण हाजरा ने भी भाजपा का रुख किया था।

सीबीआई की तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में भद्र, शांतनु बनर्जी के साथ-साथ अरुण हाजरा का भी नाम सामने आया है। इस खुलासे के बाद बंगाल की राजनीति में हलचल मच गई है। नौकरी बेचने के इस खेल में किसका कितना दखल था और कौन-कौन शामिल था, इसे लेकर अब नए सिरे से सवाल उठने लगे हैं।

सीबीआई का कहना है कि नौकरी बेचने से जुड़ी पूरी योजना, रकम का ब्योरा और सभी खातों का हिसाब इसी चौंकाने वाले समझौते में दर्ज है, जिसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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