पटवारी कानूनगो की हड़ताल चौथे दिन में प्रवेश, लोगों की बढ़ी दिक्कतें

धर्मशाला, 01 मार्च (हि.स.)। स्टेट कैडर के विरोध में पटवार एवं कानूनगो की सामूहिक हड़ताल शनिवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गई। सामूहिक हड़ताल के चलते प्रदेश भर में आम लोगों की भी दिक्कतें बढ़ गई हैं। सरकार के रवैये के चलते हड़ताल पर गए पटवारी और कानूनगो ने सभी काम ठप्प कर रखे हैं जिस कारण युवाओं के सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहे हैं। साथ ही सरकार को भी राजस्व से अच्छी खासी चपत लग रही है। दूसरी तरफ सेवानिवृत्त पटवारी एवं कानूनगो वर्ग ने भी दोबारा सेवाएं देने से इन्कार कर दिया है। ऐसे में आम जनता सरकार के अड़ियल रवैये के कारण परेशानी झेल रही है। हालांकि पिछले दो दिन हुई भारी बारिश के दौरान आपदा संबंधी कार्यों में पटवारी एवं कानूनगो की अग्रणी भूमिका रही। इसी कड़ी में शनिवार को जिला कांगड़ा की समस्त तहसीलों व उपमंडलाधिकारी कार्यालयों के पटवारियों एवं कानूनगो वर्ग ने एकजुटता दिखाकर सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया।

गौरतलब है कि पटवार एवं कानूनगो महासंघ के आह्वान पर जिला भर में पटवारियों एवं कानूनगो ने 25 व 27 फरवरी को सामूहिक अवकाश के बाद 28 फरवरी से पेन डाउन स्ट्राइक शुरू कर दी है।

प्रदेश भर में पटवारियों और कानूनगो की इस हड़ताल का शनिवार को दूसरे दिन भी पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा समर्थन जारी रहा। हड़ताल पर बैठे पटवार एवं कानूनगो महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जब उनकी नियुक्तियां जिला स्तर पर हुई हैं तो जबरदस्ती स्टेट कैडर क्यों थोपा जा रहा है?

महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने कहा कि सुविधाओं के नाम पर पटवार घरों की दयनीय हालत का तो सुधार करने में सरकार नाकाम रही है और आनन-फानन में फैसले लेने पर उतारू है। संघ के मुताबिक पटवारी अपने निजी मोबाइल से आनलाइन काम करके सरकार की नीतियों को अमलीजामा पहनाकर कार्य कर रहे हैं, जबकि सरकार धरातल पर होने भी समस्याओं को नजरंदाज कर रही है।

उधर शनिवार को भी बहुत से लोग केवाईसी तथा अन्य जरूरी प्रमाणपत्र नहीं बनवाने से वंचित रहे। पटवारी एवं कानूनगो वर्ग का कहना है कि स्टेट कैडर करने का विरोध करने के पीछे प्रदेश के राजस्व रिकार्ड में भी एकरूपता का नहीं होना भी शामिल है। उनका कहना है कि सरकार आनन फानन में फैसले ले रही है जो प्रदेश हित में नहीं है। सरकार के इस फैसले से पटवारियों एवं कानूनगो वर्ग की सीनियोरिटी पर भी विपरीत असर पड़ेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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