कांगड़ा भूकंप की 120वीं वर्षगांठ पर आपदा जागरूकता दिवस का आयोजन
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- Apr 04, 2025

शिमला, 04 अप्रैल (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश ने गुरुवार को कांगड़ा जिले में 4 अप्रैल 1905 को आए विनाशकारी भूकंप की 120वीं वर्षगांठ को आपदा जागरूकता दिवस के रूप में मनाया। इस मौके पर पूरे राज्य में जागरूकता कार्यक्रमों की श्रृंखला चलाई गई, जिसमें मॉकड्रिल, नागरिक एकजुटता मार्च, कार्यशालाएं और छात्र गतिविधियां शामिल रहीं।
गौरतलब है कि 7.8 तीव्रता वाले इस भूकंप में लगभग 20 हजार लोगों की जान चली गई थी, जबकि हजारों पशु भी मारे गए थे। करीब एक लाख मकान पूरी तरह तबाह हो गए थे। यह भूकंप भारत के सबसे भीषण प्राकृतिक हादसों में से एक माना जाता है।
राज्य सचिवालय में गुरुवार दोपहर ठीक 3 बजे सायरन बजते ही मॉकड्रिल शुरू हुई, जिसमें अग्निशमन विभाग, पुलिस बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने भाग लिया। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने मॉकड्रिल का जायजा लेते हुए अग्निशमन उपकरणों और आपात प्रबंधन तैयारियों की समीक्षा की। इस अवसर पर सचिवालय में भूकंपरोधी भवन निर्माण और आपदा तैयारी पर प्रस्तुति भी दी गई।
मुख्य सचिव ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से होने चाहिए ताकि लोगों में आपदा के प्रति सजगता बनी रहे। उन्होंने कहा कि कांगड़ा भूकंप से प्रदेश ने काफी कुछ सीखा है और पारंपरिक काष्ठकुणी व धज्जी दीवार निर्माण शैली इसकी मिसाल है। उन्होंने भूकंपरोधी निर्माण तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया।
सचिव, सचिवालय प्रशासन राकेश कंवर ने सुझाव दिया कि आपदा की स्थिति में एकीकृत पब्लिक एड्रेस सिस्टम की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे एक ही स्थान से पूरे परिसर को निर्देश जारी किए जा सकें और राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके।
इससे पहले निदेशक व विशेष सचिव (आपदा प्रबंधन) डीसी राणा ने बताया कि सभी जिला मुख्यालयों में नागरिक एकजुटता मार्च निकाले गए। 5 अप्रैल तक राज्य के सभी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और स्वास्थ्य संस्थानों में छात्रों को आपदा से जुड़ी जानकारी देने के लिए विशेष गतिविधियां चलाई जा रही हैं। छात्रों को भूकंप के समय बरती जाने वाली सावधानियों और सुरक्षात्मक उपायों की जानकारी दी जा रही है। इसके अतिरिक्त मॉकड्रिल और कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं।
डीसी राणा ने यह भी बताया कि प्रदेश की सभी पंचायतों को अप्रैल माह की ग्राम सभाओं में आपदा तैयारी और जागरूकता को एजेंडे में शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं। अत्यधिक मौसमीय घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जल निकासी प्रणाली को मजबूत करने, अतिक्रमण हटाने, असुरक्षित निर्माण पर रोक लगाने और पारंपरिक निर्माण शैली को अपनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का अधिकांश भाग भूकंपीय जोन-4 और जोन-5 में आता है, जिनमें चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, हमीरपुर और बिलासपुर जिले शामिल हैं। ये क्षेत्र अत्यधिक भूकंपीय संवेदनशीलता वाले माने जाते हैं जहां बड़े पैमाने पर भूकंप की संभावना बनी रहती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा