करगिल विजय दिवस

जम्मू, 25 जुलाई (हि.स.)। कारगिल विजय दिवस भारत के सैन्य इतिहास में एक गौरवशाली दिन है। कारगिल वह क्षेत्र है, जहां भारत और पाकिस्तानी सेना ने युद्ध किया और पड़ोसी मुल्क के कब्जे से कारगिल द्रास क्षेत्र को आजाद कराया। इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ विजय गाथा लिखी। भारत-पाकिस्तान की इस सैन्य जंग को इतिहास में विजय के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है और हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, भारत वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करता है जिन्होंने देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा की। कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को मनाया जाता है।

3 मई 1999 से लेकर 26 जुलाई 1999 तक में भारत और पाकिस्तानी सेना के बीच कारगिल युद्ध हुआ था। इस युद्ध में 527 भारतीय जवान बलिदान हुए थे और 1363 जवान घायल हुए थे। यह 527 जवान नहीं शाैर्य की 527 कहानियां है कि कैसे एक एक जवान ने अपने खून के आखिरी कतरे के बह जाने तक मोर्चा नहीं छोड़ा और वीरगति को प्राप्त हुए। उनके शाैर्य की यहीं कहानियां हमें गर्व महसूस कराती है। आपकों बता दें कि वषर् 1999 की शुरुआत में पाकिस्तानी सैनिकों ने गुप्त रूप से एलओसी पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। हालांकि खूफिया तंत्र सहीं समय पर इसकी जानकारी नहीं जुटा पाया और जब भारतीय सेना ने इस घुसपैठ का पता लगा तब तक पाक सेना के जवान आतंकियों के वेश में वहां पर खुद को हथियारों के साथ अच्छी पोजीशन पर तैनात करने में कामयाब हो चुके थे। इसके बाद फिर भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया।

भारतीय सेना ने दुर्गम और प्रतिकूल मौसम के बावजूद साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए धीरे-धीरे पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ना शुरू किया। भारतीय वायुसेना ने भी ऑपरेशन सफेद सागर के तहत हवाई हमलों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस युद्ध को उस समय के जनरल वीपी मलिक ने लीड किया था। आज विजय की इस गाथा को गाने और उन वीर बलिदानियों के बलिदान को याद करने के लिए करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है उसमें पूरा देश उन बलिदानियों के बलिदान पर गर्व महसूस कर रहा है जिनकी बदौलत आज हमारी सीमाएं सुरक्षित है।

हिन्दुस्थान समाचार / Ashwani Gupta / बलवान सिंह

   

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