स्वामी विवेकानंद ने भाषा के जरिए देश-विदेश में पहचान कायम की : जगदीप भार्गव

भाषा का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता : जगदीप भार्गवविश्व हिंदी दिवस पर विस्तार व्याख्यान एवं काव्य-गोष्ठी आयोजितहिसार, 10 जनवरी (हि.स.)। प्रसिद्ध समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी जगदीप भार्गव ने कहा है कि भाषा का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता। यह भाषा का ही प्रभाव था कि स्वामी विवेकानंद की वाणी से दिव्यता और आत्मविश्वास झर-झर कर सामने आता था। उनके विचार एवं आदर्श युवाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी मार्गदर्शित करते आ रहे हैं। जगदीप भार्गव शुक्रवार को गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एवं स्वामी विवेकानंद जयंती की पूर्व संध्या पर एक विस्तार व्याख्यान में संबोधन दे रहे थे। यह कार्यक्रम हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.एनके बिश्नोई के मार्गदर्शन में करवाया गया। उन्होंने प्रारंभिक स्वागतीय परंपरा का निर्वहन करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य से सभी को अवगत करवाते हुए विश्व स्तर पर हिंदी भाषा की दशा और दिशा पर विचार किया। जगदीप भार्गव ने विश्व हिंदी दिवस पर चर्चा करते हुए भाषा के प्रति स्वामी विवेकानंद के योगदान की चर्चा की। शिक्षा एवं सामाजिक उत्थान में स्वामी विवेकानंद की भूमिका पर उन्होंने संबोधन देते हुए बताया कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी भाषा से ही देश-विदेश में अपनी पहचान कायम की। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि समाज सेवा के जरिए केवल समाज का ही नहीं, बल्कि व्यक्ति स्वयं का भी विकास करते हैं। समाज सेवा ईश्वरीय सेवा का ही पर्याय है। उन्होंने कहा कि आज युवा वर्ग चुनौतियों का सामना करने से तुरंत पीछे हट जाता है और उनके जीवन में आत्मविश्वास साहस और धैर्य का अभाव देखा जा रहा है। इस अवसर पर धार्मिक अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष प्रो. किशना राम बिश्नोई व हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ. गीतू धवन ने विश्व साहित्य के आलोक में हिंदी के अनुदित साहित्य पर विचार सांझा किए। हिंदी विभाग की प्रवक्ता डॉ. शर्मीला, डॉ. कल्पना ने विश्व फलक पर हिंदी के बढ़ते विस्तार की बात करते हुए इसकी पर महत्ता पर प्रकाश डाला। विस्तार व्याख्यान के उपरांत हिंदी विभाग में युवा काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यालय स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रति अपने अभिरुचि को प्रदर्शित किया। शिक्षा विभाग से अपूर्वा, प्रिंटिंग से दीपक, कंप्यूटर साइंस विभाग से गुलशन, एसएसबी से भूषण, मास कम्युनिकेशन विभाग से कल्पना एवं ईशान, हिंदी स्नातकोत्तर से अदिति, पारुल, सोमनाथ, सीएसई से जयंतराज एवं तुषार, एमटेक सीएससी से प्राची ने अपनी काव्यगत कविताओं के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति की, जिसमें जयंतराज अपूर्वा और प्राची की कविताओं को सर्वाधिक वाहवाही मिली। कार्यक्रम में रिसर्च स्कॉलर्स सहित स्नातक और परास्नातक के सभी विद्यार्थियों ने शिरकत की।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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