विश्व शांति का संदेश दे रही यात्रा 'चरथ भिक्खवे'

कुशीनगर, 20 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व शांति के लिए बौद्ध परिपथ की 10 दिवसीय साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्रा सह सचल कार्यशाला 'चरथ भिक्खवे' रविवार को लुंबनी के लिए रवाना हो गई। देश को जानने, उसकी प्रतीति करने और अंततः उससे सच्चा प्रेम करने के संदर्भ में निकली ‘चरथ भिक्खवे’ यात्रा बुद्ध के मैत्री, करुणा, सद्भाव का व्यापक संदेश को प्रसारित कर रही है।

बीएचयू के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व आयोजन संयोजक प्रो. सदानंद साही ने कहा कि बुद्ध दुनिया में भारतीय संस्कृति की अद्भुत देन हैं। आज युद्ध के अनेक मुहानों पर खड़ी दुनिया के लिए बुद्ध व उनके संदेश सबसे बड़ी जरूरत है। इस यात्रा का उद्देश्य बुद्ध की प्रासंगिकता को प्रसारित करते हुए विश्व शांति का संदेश देना है। प्रो. राम सुधार सिंह ने कहा कि सारनाथ से शुरू हुई इस यात्रा में हमने बोध गया, राजगिरि, नालंदा, वैशाली और पटना में हमने भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन के विविध पहलुओं पर चर्चा की है।

इंग्लैंड में पले-बढ़े और बोधगया में ‘ द रुट फाउंडेशन ‘ के निदेशक कबीर सक्सेना ने तिब्बती बौद्ध परम्परा द्वारा नालन्दा ज्ञान परम्परा को वर्तमान समय मे आगे बढ़ाने की बात रखी। इस बात पर ज़ोर दिया कि भीतर की यात्रा अधिक महत्त्वपूर्ण है जिससे वास्तविक रूप में सब सुखी हो पाएं। इस दौरान अरुण कमल, रणेंद्र, राकेश रंजन, वीरेंद्र नारायण यादव और शालिनी मिश्र आदि ने अलग-अलग जगहों पर यात्रा का संयोजन किया है।

प्रो. अनिल राय ने इस आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए इसकी तुलना अज्ञेय द्वारा आयोजित जानकी जीवन यात्रा से की। कहा कि इस तरह की यात्राएं साहित्यिक और सांस्कृतिक दुनिया में सकारात्मक हस्तक्षेप करती हैं। परिचर्चा को रामनरेश राम, प्रियंका सोनकर, मनोज सिंह आदि ने भी संबोधित किया। कुशीनगर में यात्रा और इसमें शामिल साहित्यकारों के लिए स्वागत वक्तव्य प्रो. गौरव तिवारी ने दिया।

आभार प्रो. राजेश मल्ल ने ज्ञापित किया। परिचर्चा के दौरान प्रकाश उदय, दिनेश तिवारी, विहाग़ वैभव, अंशु प्रिया आदि ने अपनी कविताएं पढ़ीं। भ्रमण और परिचर्चा के बाद यात्रा लुंबिनी के लिए रवाना हो गई। यात्रा में वरिष्ठ साहित्यकार डा. रंजना अगड़े, कवयित्री गगन गिल, मृदुला सिन्हा, अनुपश्री विजयिनी, आशुतोष तिवारी, आनंद स्वरूप घोष, पृथ्वीराज सिंह, नरेंद्र पुंडरीक, सना सहाब, राजू मौर्य, रामनगीना आदि की उपस्थिति रही।

हिन्दुस्थान समाचार / गोपाल गुप्ता

   

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