कुशीनगर, 8 जनवरी (हि.स.)। कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मन्दिर में स्थित बुद्ध की 5वीं शदी की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा की सुरक्षा के लिए एक ओर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण केमिकल ट्रीटमेंट करवा रहा है दूसरी तरफ टफ़ेन ग्लास फांदकर सैलानी प्रतिमा पर सुगंधित पदार्थ लगा रहे हैं । इससे प्रतिमा की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
यह सब कुछ पुरातत्वकर्मियों व सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में हो रहा है। सैलानी प्रतिमा के ठोस आवरण को भी खुरच कर अवशेष साथ ले जा रहे हैं।
एक दशक पूर्व प्रतिमा की सुरक्षा के लिए प्रतिमा के चारों ओर टफेन ग्लास लगाकर बैरिकेडिंग की गई। प्रतिमा पर क्लोज सर्किट कैमरे लगाकर निगरानी की जाने लगी। सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुरातत्व कर्मचारी तैनात किए गए। बावजूद इसके प्रतिमा की सुरक्षा के लिए लागू की गई यह व्यवस्था काम नही आ रही और प्रतिमा की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ का सिलसिला जारी है। जिसके कारण प्रतिमा का बाहरी स्वर्ण रंग का आवरण प्रभावित हो रहा है। बाहरी परत पर विभाग समय-समय पर केमिकल ट्रीटमेंट भी कराता है। यदि बाहरी परत प्रभावित हुई तो प्रतिमा का क्षरण शुरू हो जाएगा। इस संबंध में संरक्षण सहायक शादाब खान ने बताया कि इसकी जांच कराई जायेगी। यदि ऐसा हो रहा है तो संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध कारवाई की जायेगी।
टफेन ग्लास की कम ऊंचाई से आ रही समस्या: प्रतिमा की सुरक्षा के लिए लगाए गए ट्फेन ग्लास की कम ऊंचाई प्रतिमा की सुरक्षा में बाधक बन रही है। सैलानी ग्लास के बाहर से हाथ बढ़ाकर से प्रतिमा को स्पर्श करते हैं। ग्लास के भीतर प्रवेश के लिए एक फाटक लगाया गया है, जिसे सरकाकर कोई भी प्रतिमा के अंदर जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / गोपाल गुप्ता