च्वाइस सेंटरों में भूमि संबंधी दस्तावेज तैयार, अधिवक्ताओं का विरोध
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- Jul 17, 2025

धमतरी, 17 जुलाई (हि.स.)। जिला अधिवक्ता संघ धमतरी ने जमीन की रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज लेखन कार्य केवल अधिवक्ताओं एवं प्रमाणित दस्तावेज लेखकों से संपादित कराने सहित चार सूत्री मांगों को लेकर गुरुवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे। यहां अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने मांगों को लेकर सचिव वित्त विभाग छत्तीसगढ़ शासन के नाम डिप्टी कलेक्टर तेजपाल ध्रुव को ज्ञापन सौंपा। मांगों पर आवश्यक कार्रवाई नहीं होने पर चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है।
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बीआर सिन्हा, सचिव सौरभ मिश्रा, उपाध्यक्ष सीमा सोनी एवं नंद कुमार सिन्हा ने सौंपे ज्ञापन में बताया है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भूमि की खरीद-बिक्री एवं विक्रय से संबंधित दस्तावेजों के प्रारूप तैयार करने की सुविधा जन सेवा केन्द्र च्वाइस सेंटरों एवं अन्य सामान्य व्यक्तियों के माध्यम से भी उपलब्ध कराई जा रही है, जो कि पूर्व से प्रचलित विधिक नियमों एवं परंपराओं के प्रतिकूल है। भूमि संबंधी दस्तावेज लेखन एवं विक्रय पत्र का निर्माण एक अत्यंत तकनीकी, संवेदनशील एवं विधिक प्रक्रिया है, जो प्रत्यक्ष रूप से नागरिकों के संपत्ति अधिकारों, वित्तीय हितों तथा भविष्य में उत्पन्न हो सकने वाले विवादों से जुड़ा होता है। यह कार्य केवल विधिक योग्यता एवं विशेषज्ञता रखने वाले अधिवक्ताओं एवं प्रमाणित दस्तावेज लेखकों द्वारा ही किया जाना चाहिए। जिससे दस्तावेज विधिसम्मत, स्पष्ट, त्रुटि रहित एवं विवाद रहित बने। च्वाइस सेंटरों में इस कार्य के होने से वर्षों से इस व्यवसाय से जुड़े अधिवक्ताओं एवं दस्तावेज लेखकों की आजीविका भी संकट में आ गई है। यह न केवल उनके पेशे के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रहा है, बल्कि न्यायिक प्रणाली की आत्मा के विरुद्ध भी है। ज्ञापन सौंपने वालों में सचिन जाचक, रामजी साहू, यदुनंदन सिन्हा, मनोहर मिच्छवानी, प्रकाश गुप्ता, संजय भोसले, गायत्री माया गोस्वामी, हितेश्वरी सिन्हा, माया कोल, गौरव सोलंके, किशोर पुरी सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे।
इन चार सूत्री मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
रजिस्ट्री के लिए विक्रय दस्तावेजों का प्रारूप तैयार करने की अनुमति केवल पंजीकृत दस्तावेज लेखकों एवं अधिवक्ताओं तक ही सीमित की जाएं। च्वाइस सेंटर एवं अन्य अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए। राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) साफ्टवेयर के संचालन के लिए सभी पंजीकृत दस्तावेज लेखकों एवं अधिवक्ताओं को एक विशिष्ट यूनिक आईडी कोड प्रदान किया जाएं। जिसके माध्यम से केवल अधिकृत अधिवक्ता एवं दस्तावेज लेखक ही रजिस्ट्री संबंधी कार्य संपादित कर सकें। आम जनता को विधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए शासन स्तर पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा