नई शिक्षा नीति में सभी का योगदान जरूरी : प्रो. धनंजय यादव
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- Nov 11, 2024
--मौलाना आजाद ने देखा था शिक्षित भारत का सपना : प्रो. सत्यकाम
--मुक्त विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर व्याख्यान
प्रयागराज, 11 नवम्बर (हि.स.)। आज नई शिक्षा नीति 2020 मूर्त रूप में है। सभी लोग सामूहिक जिम्मेदारी लेते हुए देश की शिक्षा नीति में अपना योगदान दें। मौलाना आजाद ने स्वतंत्र भारत के बाद शिक्षा नीति की जो बागडोर संभाली थी, उसको आगे बढ़ाने के क्रम में प्रयास जारी है। इसको अमलीजामा पहना पाए तो निश्चित रूप से भारत 2047 तक विकसित भारत के रूप में परिवर्तित हो जाएगा, ऐसी अपेक्षा है।
उक्त विचार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो.धनंजय यादव ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में सोमवार को आयोजित मौलाना अबुल कलाम आजाद की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सभी का सामाजिक, समावेशी एवं सामूहिक प्रयास होना चाहिए, जो भारत के लिए श्रेष्ठ होगा।
बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद एक महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद और बेहतरीन लेखक थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके कार्यकाल में विभिन्न साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी का गठन हुआ। इसके साथ ही उनके कार्यकाल में सांस्कृतिक सम्बंध परिषद भी स्थापित हुआ।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि मौलाना आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री थे। जिन्होंने भारत को शिक्षित करने में पूरा योगदान दिया और उन्होंने शिक्षा के माध्यम से एक शिक्षित भारत बनाने का सपना देखा था। उसी के अनुक्रम में अनेक शिक्षण संस्थाओ के विकास में अपना योगदान दिया। उनका सपना था कि सभी बच्चे शैक्षिक रूप से सक्षम होते हुए रोजगार परक शिक्षा प्राप्त करें और उसी के अनुक्रम में अपने जीवन यापन करते हुए देश व समाज के विकास में अपना योगदान दें।
डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर कार्यक्रम के निदेशक प्रोफेसर पी.के. स्टालिन ने सभी अतिथियों का स्वागत तथा कार्यक्रम की रूपरेखा एवं विषय प्रवर्तन परविंद कुमार वर्मा ने किया। संचालन डॉ रविंद्र नाथ सिंह ने तथा संयोजक प्रोफेसर छत्रसाल सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र