एमएनआईटी ने युद्ध वाहनों व टैंकों के लिए हल्के आर्मर पैनल किया विकसित

-जयपुर में एमएनआईटी का नया माइलस्टोन

जयपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी ) जयपुर ने लड़ाकू वाहनों के लिए हल्के हाइब्रिड कम्पोजिट आर्मर पैनल विकसित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

एमएनआईटी जयपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. अमर पटनायक ने बताया कि ये आर्मर ऑर्डनेंस गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली मौजूदा भारी स्टील प्लेट्स की जगह ले सकते हैं और वज़न कम होने से गाड़ियों की मैन्यूवरेबिलिटी बढ़ा सकते हैं।

एमएनआईटी जयपुर के प्रो. अमर पटनायक के नेतृत्व में एक मल्टी-इंस्टीट्यूशनल प्रोजेक्ट, जिसमें एनआईटी उत्तराखंड, इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स, उत्तरी भारत वस्त्र अनुसंधान संघ, डीआरडीओ-टीबीआरएल जैसे कई जाने-माने इंस्टीट्यूशन और एसएमपीपी और ओएफएमके जैसी इंडस्ट्री शामिल हैं, को कुछ साल पहले राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, वस्त्र मंत्रालय ने स्पॉन्सर किया था ताकि छोटे कैलिबर के गोला-बारूद के खतरे से आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सके।

पटनायक के अनुसार, देश में मौजूदा आर्मर सॉल्यूशन ज़्यादातर मेटैलिक या इम्पोर्टेड कम्पोजिट सिस्टम पर निर्भर करते हैं, जो ज़्यादा भारी, ज़्यादा महंगे और सीमित सप्लाई वाले होते हैं। एमएनआईटी टीम और सहयोगी एजेंसियों की मिली-जुली कोशिशों से, देश में ही बनाए गए हाइब्रिड कम्पोजिट आर्मर पैनल सफलतापूर्वक बनाए गए हैं, जिनमें एडवांस्ड सिरेमिक, एडवांस्ड टेक्निकल टेक्सटाइल और पॉलिमर का इस्तेमाल किया गया है। इन नए बने पैनलों ने लैब में टेस्ट करने पर बैक-फेस ट्रॉमा सिग्नेचर कम होने के साथ बेहतरीन बैलिस्टिक परफॉर्मेंस और बेहतर एनर्जी सोखने की क्षमता दिखाई है।

नए बने आर्मर की एक बड़ी कामयाबी यह है कि पारंपरिक मटीरियल के मुकाबले इसका वज़न 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो गया है। ये नए हल्के आर्मर पहाड़ी और बिना मोटर वाले इलाकों जैसे मॉडर्न युद्ध के हालात में मोबिलिटी, मैन्यूवरेबिलिटी और पूरी ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाने में मदद करेंगे। यह नया स्वदेशी डेवलपमेंट देश की आत्मनिर्भरता में मदद करेगा। साथ ही विदेशी निर्भरता कम को कम करेगा और घरेलू डिफेंस इकोसिस्टम को सपोर्ट करेगा।

इस इनोवेशन से डिफेंस सेक्टर में कॉम्बैट व्हीकल प्रोटेक्शन को सीधा फ़ायदा होगा। डिफेंस के अलावा इस टेक्नोलॉजी से देश के अंदर नई मटीरियल सप्लाई चेन, नए रोजगार के मौके और मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएँ व इंडस्ट्रियल ग्रोथ को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस नवाचार से आने वाले सालों में देश, समाज और इंडस्ट्री को काफ़ी फ़ायदा होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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